मंगलवार, 13 सितंबर 2011

गए निशंक, कैसे बजा खण्डूरी का शंख!

गए निशंक, कैसे बजा खण्डूरी का शंख!


गड़करी ने अपने हनुमान को किया दर किनार


सर्वेक्षण बना निशंक की बिदाई का आधार


(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। उत्तारखण्ड में अचानक ही राजनैतिक बादल फटे और उसमें आई बाढ़ में निशंक बह गए। अचानक ही रातों रात एक बार फिर भुवन चंद खण्डूरी को तख्त सौंप दिया गया। राजनैतिक वीथिकाओं में गड़करी के हनुमान की संज्ञा प्राप्त निशंक के इस तरह जाने के कारणों की खोज जारी है। कहा जा रहा है कि एक सर्वेक्षण ने निशंक की बिदाई सुनिश्चत की और सेना से सेवानिवृत मेजर खण्डूरी का विजय नाद करता हुआ शंख बजा दिया।


भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी के करीबी सूत्रों का कहना है कि आला नेताओं में मुरली मनोहर जोशी और राजनाथ सिंह लंबे अर्से से रमेश पोखरियाल निशंक की मुखालफत कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर कुशल प्रबंधक निशंक ने संघ और गड़करी चालीसा पढ़कर दोनों ही को साध रखा था। इसी बीच निशंक के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले खदबदाने लगे। अचानक ही तख्तापलट कर निशंक के स्थान पर खण्डूरी को उत्तराखण्ड की बागड़ोर सौंप दी गई।


सूत्रों ने कहा कि भाजपा के हालिया चाणक्य अरूण जेतली के एक कृपा पात्र अरूण नरेंद्र नाथ द्वारा कराए गए सर्वे को करीने से भाजपाध्यक्ष के सामने रखा गया। इसमें यह दर्शाया गया है कि निशंक की छवि बहुत प्रभावी नहीं रही। वे भ्रष्टाचार में वर्तमान में काबिज भाजपाई मुख्यमंत्रियों से भले ही पीछे हों पर निश्प्रभावी हो चुके हैं। इस सर्वेक्षण में पचास फीसदी से अधिक लोग भुवन चंद खण्डूरी को अगले चुनावों में मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाह रहे हैं। वहीं कोश्यरी के साथ दस फीसदी से भी कम तो निशंक के साथ प्रदंह फीसदी लोग भी नहीं हैं।


फिर क्या था पितरों के पहले ही निशंक को विश्राम दे दिया गया। 12 से पितर आरंभ हो रहे थे और हिन्दु मान्यताओं पर चलने वाली भाजपा ने पितरों में कोई भी शुभ काम करने के चलते आनन फानन में निशंक को गद्दी से उतार दिया। उधर निशंक के करीबी सूत्रों का कहना है कि निशंक अंदर ही अंदर बेहद गुस्से में हैं। इसका कारण उन पर लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोप हैं। निशंक के करीबियों का कहना है कि भाजपा के सारे मुख्यमंत्रियों की तुलना में निशंक पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप बहुत संगीन नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर माना जा रहा है कि निशंक के मीडिया मैनेजरों ने निशंक की मीडिया से दूरी बनवा दी थी, यही कारण है कि निशंक के पदच्युत होते ही मीडिया में ज्यादा हो हल्ला नहीं मचा।

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