मंगलवार, 13 सितंबर 2011

. . . मतलब अवैध है जिला चिकित्सालय का ब्लड बैंक

. . . मतलब अवैध है जिला चिकित्सालय का ब्लड बैंक


बारह सालों से नहीं भेजी नियंत्रक को कोई जानकारी


उच्चाधिकारियों की क्वेरी डाल दी जाती है ठण्डे बस्ते में


(अभिषेक दुबे)


सिवनी। प्रियदर्शनी स्व.श्रीमति इंदिरा गांधी के नाम से सुशोभित अर्युविज्ञान महाविद्यालय की क्षमता वाले जिला चिकित्सालय का ब्लड बैंक मनमानियों का अड्डा बनकर रह गया है। हाल ही में मुंबई से नियंत्रक द्वारा भेजी गई एक क्वेरी से इस राज पर से पर्दा उठा है कि ब्लड बैंक में पदस्थ प्रभारियों द्वारा अपने आला अधिकारियों को ही गुमराह कर अंधेरे में रखा जाता है।


अति भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि नियंत्रक द्वारा 19 जुलाई 2011 को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सिवनी को भेजे पत्र क्रमांक व्ही / 281 / 17 / 8 / 7842 में आठ कंडिकाओं में स्पष्टीकरण मांगा है। इस पत्र को सीएमओ द्वारा बरास्ता सिविल सर्जन डॉ.के.सी.मेश्राम पैथालाजी विभाग को भेज दिया है।


सूत्रों ने आगे कहा कि इस पत्र में पहली कंडिका में ही कहा गया है कि जिला चिकित्सालय के पैथालाजी विभाग द्वारा वर्ष 1999 के उपरांत 2008 तक जो राशि चालान से जमा की है उसकी जानकारी नियंत्रक को नहीं भेजी गई है। इसके साथ ही साथ आठवंी कंडिका में साफ उल्लेख किया गया है कि सालों से ब्लड बैंक में पदस्थ प्रभारी चिकित्सक सहित, नर्स, वार्डब्वाय, लैब अस्टिेंट, अटेंडेंट आदि के अनुभवों के बारे में न तो बताया ही गया और न ही उनके अनुभव प्रमाण पत्र ही जमा कराए गए हैं।


यहां गौरतलब है कि जिला चिकित्सालय के पैथलाजी विभाग में लोगों के खून, थूक, मल, मूत्र, वीर्य आदि की जांच के बजाए मरीजों को घरों पर आने के लिए ज्यादा प्रेरित किया जाता है। जिला चिकित्सालय में पदस्थ अनेक चिकित्सक और कर्मचारी अपने अपने घरों पर जिला चिकित्सालय से काफी अच्छी और सुविधायुक्त पैथलाजी लैब चला रहे हैं जो तो आला अधिकारियों को ही दिख रही है और ही जनप्रतिनिधियों को। परिणामस्वरूप, मरीजों की जेबों पर सीधा डाका डाल रहे हैं स्वास्थ्य कर्मी।

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