शनिवार, 19 नवंबर 2011

पेट्रोलियम मामले में बैकफुट पर सरकार


पेट्रोलियम मामले में बैकफुट पर सरकार

अब नहीं बढ़ेंगे गैस, केरोसीन और डीजल के दाम

ममता के आगे नतमस्तक सरकार

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। पेट्रोल के दाम बढ़ाकर सहयोगी दलों विशेषकर ममता बनर्जी का तीखा आक्रोश देखकर कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के हाथ पांव फूल चुके हैं। इसके दामों में लगातार बढ़ोत्तरी से उपजे जनाक्रोश को भी झेलना अब सरकार के बस की बात नहीं लग रही है।

मूल लागत में करों को जोड़कर लगभग दुगने दामों पर तेल बेचने के बाद भी सरकार की नवरत्न कंपनियों को डीजल, मिट्टी का तेल और रसोई गैस बेचने में रोजाना 360 करोड़ रूपयों का घाटा उठाना पड़ रहा है जो आश्चर्यजनक ही माना जा हरा है। पीएमओ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि इस वक्त इन तीनों उत्पादों के दामों बढ़ोत्तरी निश्चित तौर पर आत्मघाती ही होगा।

वैसे भी संसद का सत्र मंगलवार से आरंभ हो रहा है और एक माह चलने वाले इस सत्र के बीच अगर इन तीनों उत्पादों के दाम में बढोत्तरी की जाती है तो सरकार को विपक्ष आसानी से घेर लेगा। वैसे भी 15 नवंबर को दो रूपए की पेट्रोल की कीमतों में कमी के बाद भी सरकार पर राजनैतिक लाभ लेने के आरोप लग गए थे।

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