सोमवार, 28 नवंबर 2011

तानाशाह हैं दिग्विजय: राजा


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 38

तानाशाह हैं दिग्विजय: राजा

उल्टा पड़ा दिग्विजय का तीर

दिग्गी राजा के बयान पर सोनिया को घेरा भाजपा ने

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। वजीरे आजम डाॅ.मनमोहन सिंह के खिलाफ परोक्ष तौर पर माहौल बनाने वाले कांग्रेस के आला नेता अब अपने ही जाल में खुद घिरते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस की राजनीतिक बिसात में इक्कीसवीं सदी के चाणक्य की भूमिका निभाने वाले महासचिव राजा दिग्विजय सिंह को माकपा नेता डी.राजा ने तानाशाह तक कह डाला। उधर मार्शलों पर राजा दिग्विजय सिंह की टिप्पणी के चलते भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को जमकर घेरा है।


कांग्रेस में चल रही चर्चाओं के अनुसार मनमोहन सिंह की रूखसती और राहुल गांधी की ताजपोशी का ताना बाना बुन रहे कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह ने हाल ही में एक विवादित बयान देकर कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। पहले ट्टीट मंत्री के नाम से विख्यात शशि थरूर ने कांग्रेस के लिए अपने ट्वीट के माध्यम से मुश्किलें पैदा की थीं अब राजा दिग्विजय सिंह थरूर से प्रेरणा लेकर विवादित ट्वीट कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि दिग्गी राजा ने यह बयान इसलिए दिया था कि इससे मनमोहन की मुश्किलें बढ़ें पर उनका दांव उल्टा पड़ा और यह बयान कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बनता दिख रहा है।


दिग्विजय सिंह ने हालिया ट्वीट में कहा है कि संसद का एक दिन और बर्बाद हो गया। 2004 से संसद में मार्शलों का इस्तेमाल नहीं हुआ है। अब इनके इस्तेमाल का उचित समय आ गया है। दिग्विजय सिंह का ट्वीट जैसे ही आॅन एयर हुआ वैसे ही विपक्ष ने इसे लपक लिया और कांग्रेस को घेरने की रणनीति बना डाली।


भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने इस पर तल्ख आपत्ति दर्ज करते हुए इसकी निंदा की और कहा कि वे यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से पूछना चाहते हैं कि क्या सरकार ताकत के बल पर संसद चलाना चाहती है। साथ ही सोनिया से प्रश्न करते हुए जावड़ेकर ने यह भी कहा कि सोनिया यह स्पष्ट करें कि वे दिग्विजय के बयान से सहमत हैं या उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगीं।


उधर माकपा नेता डी.राजा तो दिग्गी राजा के बयान से बेहद ही असहज नजर आए। उन्होंने साफ कहा कि दिग्विजय सिंह चाहते हैं कि सांसदों को संसद से ही उठाकर बाहर फेंक दिया जाए। राजा का कहना है कि दिग्विजय सिंह एक सूबे के सीएम रहे हैं तो उन्हें बेहतर मालूम होगा कि विधान के लिए स्थापित संस्थाओं की कार्यप्रणाली क्या रहती है। उन्होंने कहा कि वे भी चाहते हैं कि संसद चले, पर इसका मतलब यह नहीं कि सरकार मनमानी करे और विपक्ष खामोश बैठा रहे। उन्होंने इसे तानाशाही निरूपित करते हुए दिग्विजय सिंह पर अनेक प्रहार किए।


(क्रमशः जारी)

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