सोमवार, 28 नवंबर 2011

शिव के राज में बुरी तरह प्रदूषित हैं नदियां


शिव के राज में बुरी तरह प्रदूषित हैं नदियां

बैनगंगा है पूरी तरह प्रदूषण मुक्त!

उद्योगों की मार से बढ़ा नदियों में प्रदूषण

मोक्ष मांगती मोक्षदायनी क्षिप्रा

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाती है नर्मदा। इसके अलावा जीवनदायनी कल कल बहती नदियों में चंबल, क्षिप्रा, बेतवा, कलियासोत, मंदाकनी, टोंस, खान आदि नदियां हैं, जो देश के हृदय प्रदेश में जीवन बांटती चल रही हैं। इनमें से बैनगंगा नदी को छोड़कर शेष सारी नदियां मध्य प्रदेश में प्रदूषण के मानकों पर रडार पर ही हैं। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय नदियों की इस तरह हो रही दुर्दशा के लिए चिंतित नजर आ रहा है, पर मध्य प्रदेश के सांसदों को इस बात की कतई परवाह नहीं है।

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि एक सर्वेक्षण में यह बात उभरकर सामने आई है जो चिंताजनक मानी जा सकती है। सूत्रों ने कहा कि भविष्य की अचल संपत्ति अब पानी ही होने वाली है और राज्य सरकार पानी के मामले में इस कदर बेपरवाह है कि आने वाले सालों में स्थिति की भयावहता का अंदाजा लगाना कठिन ही है। विकास के नाम पर औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है किन्तु मानकों का पालन न किए जाने की स्थिति में यह विकास भविष्य में वास्तव में विनाश ही साबित होने वाला है।

सूत्रों के अनुसार नदियों में बाॅयो केमिकल आक्सीजन डिमांड अर्थात बीओडी की मात्रा का आंकलन किया गया, जिसके परिणाम चिंताजनक मिले हैं। पानी में इसका निर्धारित मानक प्रति लीटर में तीन मिली ग्राम होना चाहिए। आश्चर्य तो तब हुआ जब सूबे की आर्थिक राजधानी इंदौर में खान नदी में यह 17 फीसदी अधिक मिला। इंदौर की खान नदी में इसकी मात्रा पचास मिली ग्राम प्रति लीटर पाई गई। इंदौर में नदी के प्रदूषित होने का सबसे बड़ा कारण वहां जल मल निकासी का पानी खान नदी में मिलना है।

उज्जैन के नागदा क्षेत्र में औद्योगिक संयंत्रों के जहरीले अपशिष्ट से यहां क्षिप्रा बुरी तरह प्रदूषित हो रही है। नागदा में चंबल नदी में बीओडी का स्तर 34 मिली ग्राम मिला है। वहीं उज्जैन में क्षिप्रा में इसकी मात्रा प्रंदह पाई गई। अमरकंटक से निकलकर बरास्ता जबलपुर नरसिंहपुर होशंगाबाद पहुंची मध्य प्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा में इसकी मात्रा होशंगाबाद में 11.4 पाई गई। इसी तरह टोंस में 8 तो रायसेन में बेतवा नदी में 6.8, औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप में कलियासोत नदी में यह 5 तो चित्रकूट में मंदाकनी में इसकी मात्रा 5 मिली ग्राम प्रति लीटर पाई गई।

मध्य प्रदेश की इकलौती नदी बैनगंगा है जो प्रदेश में प्रदूषण मुक्त मानी गई है। भगवान शिव की नगरी सिवनी से सात किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में मंुडारा से प्रकट हुई बैनगंगा नदी पर सिवनी जिले में ही एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध भीमगढ़ बनाया गया है। यहां से यह बालाघाट होते हुए महाराष्ट्र में प्रवेश कर जाती है। इस नदी में बीओडी की मात्रा आपेक्षाकृत निर्धारित ही पाई गई।

नदियों पर बीओडी के सर्वेक्षण से प्रदेश में पेयजल प्रदाय करने वाली नदियां ही बुरी तरह प्रभावित नजर आ रही हैं। नदियों में मानक स्तर से अधिक प्रदूषण पाए जाने से अब राजनैतिक राजधानी भोपाल, आर्थिक राजधानी इंदौर, संस्कारधानी जबलपुर, धार्मिक नगरी उज्जैन, चित्रकूट, सहित खण्डवा, रायसेन, नरसिंहपुर आदि शहरों में इन नदियों का पानी आचमन के योग्य भी नहीं बचा है। इस तरह के प्रदूषित पानी से स्नान करने पर चर्मरोगों का खतरा स्वयमेव ही बढ़ जाता है।

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