मंगलवार, 15 नवंबर 2011

. . . तो जहरीला पानी पीने को मजबूर होंगे राजधानी वासी


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 15

. . . तो जहरीला पानी पीने को मजबूर होंगे राजधानी वासी

संस्कारधानी में भी नल उगलेंगे जहर!

जहर पिलाने की तैयारी में शिव का राज

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के हृदय प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से महज सौ किलोमीटर दूर भगवान शिव के जिले सिवनी के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में स्थापित होने वाले देश के मशहूर थापर ग्रुप के सहयोगी प्रतिष्ठान के छः सौ मेगावाट के पावर प्लांट की स्थापना अगर हो गई तो यह सुनिश्चित ही है कि संस्कारधानी जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, भोपाल, खण्डवा आदि जिलों में लोग जहर पीने पर मजबूर हो जाएंगे।

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों का दावा है कि इस पावर प्लांट की प्रोजेक्ट रिपोर्ट को देखकर यह अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि इससे उड़ने वाली राख जब पुण्य सलिला नर्मदा नदी पर बने रानी अवंती बाई सागर परियोजना अर्थात बरगी बांधी की तलहटी पर जाकर बैठेगी तो वहां तलहटी में सिल्ट जमा होना आरंभ होगा जिससे साल दो साल में ही नदी का भराव क्षेत्र आश्चर्यजनक तौर पर कम हो जाएगा। इसके अलावा इस राख से पानी पूरी तरह जहरीला भी हो जाएगा।

गौरतलब है कि देश की सबसे प्राचीनतम नदी नर्मदा का जल तेजी से जहरीला होता जा रहा है। अगर यही स्थिति रही तो मध्यप्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा अगले 10-12 सालों में पूरी तरह जहरीली हो जाएगी और इसके आसपास के शहरों-गांवों में बीमारियों का कहर फैल जाएगा। हाल ही मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नर्मदा के जल की शुद्धता जांचने के लिए किए गए एक परीक्षण में पता चला है कि नर्मदा तेजी से मैली हो रही है।

तमाम शोध और अध्ययन बताते हैं कि नर्मदा को लेकर बनी योजनाओं से दूरगामी परिणाम सकारात्मक नहीं होंगे। भयंकर परिणामों के बावजूद नर्मदा समग्र अभियान वाली हमारी सरकार नर्मदा जल में जहर घोलने की तैयारी क्यों कर रही है? यह विडंबना ही कही जाएगी कि मध्यप्रदेश की जीवनरेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी जिसके पानी का भरपूर दोहन करने के लिए नर्मदा घाटी परियोजना के तहत 3000 से भी ज्यादा छोटे-बड़े बांध बनाए जा रहे हैं।

वहीं एक सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार नर्मदा नदी के तट पर बसे नगरों और बड़े गांवों के पास के लगभग 100 नाले नर्मदा नदी में मिलते हैं और इन नालों में प्रदूषित जल के साथ-साथ शहर का गंदा पानी भी बहकर नदी में मिल जाता है। इससे नर्मदा जल प्रदूषित हो रहा है। नगरपालिकाओं और नगर निगमों द्वारा गंदे नालों के ज़रिए दूषित जल नर्मदा में बहाने पर सरकार रोक नहीं लगा पाई है और न ही आज तक नगरीय संस्थाओं के लिए दूषित जल के अपवाह की कोई योजना बना पाई है। राज्य के 16 ज़िले ऐसे हैं जिनके गंदे नालों का प्रदूषित पानी नर्मदा में प्रदूषण के स्तर को बढ़ा रहा है।

राज्य के 16 ज़िले ऐसे हैं जिनके गंदे नालों का प्रदूषित पानी नर्मदा में प्रदूषण के स्तर को बढ़ा रहा है। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्र के कटाव से भी नर्मदा में प्रदूषण बढ़ रहा है। कुल मिलाकर नर्मदा में 102 नालों का गंदा पानी और ठोस मल पदार्थ रोज़ बहाया जाता है, जिससे अनेक स्थानों पर नर्मदाजल खतरनाक रूप से प्रदूषित हो रहा है।

(क्रमशः जारी)

कोई टिप्पणी नहीं: