मंगलवार, 15 नवंबर 2011

भ्रष्टाचार पर राजपरिवार की आश्चर्यजनक खामोशी!


भ्रष्टाचार पर राजपरिवार की आश्चर्यजनक खामोशी!

(लिमटी खरे)

नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) देश का अघोषित राज परिवार है। इस परिवार ने पीढ़ी दर पीढ़ी देश पर राज किया है। सत्ता का केंद्र सदा ही इस परिवार के आसपास ही रहा है। पंडित जवाहर लाल नेहरू और प्रियदर्शनी श्रीमति इंदिरा गांधी के अंदर नैतिकता थी। फिर भी सत्तर के दशक में इंदिरा गांधी पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे थे। उसके बाद उनके पुत्र राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए उन पर भी भ्रष्ट होने के आरोप लगे। उनकी पत्नि इटली मूल की सोनिया माईनो कांग्रेस अध्यक्ष हैं, पुत्र राहुल गांधी कांग्रेस के महासचिव हैं। दोनों ही उत्तर प्रदेश से लोकसभा सांसद हैं। यूपी कांग्रेस के हाथ से कभी का फिसला है। मां बेटा दोनों के सामने मनमोहन सरकार भ्रष्टाचार की गंगोत्री बन चुकी है। सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूब चुकी है। मंहगाई आसमान छू रही है। देश में अराजकता है, सीमाएं असुरक्षित हैं, कभी पाक तो कभी चीन कालर पकड़ने पर आमदा है। यह सब देख सुनकर भी सोनिया और राहुल मौन साधे बैठे हैं, मानो यह देश उनका है ही नहीं!

कांग्रेस के नेता भी अजीब हैं। एक विदेशी महिला जो इस देश की बहू तो बन गई पर देश को सरेआम लुटते देख रही है के पीछे अगर बत्ती लिए दौड़ लगा रहे हैं। सोनिया के पुत्र राहुल गांधी भी अपने पीछे दिया लेकर दौड़ने वालों को देखकर मन ही मन प्रसन्न होते हैं। उन्हें जरूर लगता होगा कि कितने बेवकूफ हैं लोग जो सिर्फ नेहरू गांधी परिवार के नाम के सामने ही नतमस्तक हो जाते हैं। छः दशकों में कांग्रेस एक भी कद्दावर नेता को पैदा नहीं कर पाई जो कांग्रेस को संभाले।

आज कांग्रेसियों द्वारा अपनी राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी को प्रसन्न करने के लिए उनके पूर्वजों पंडित जवाहर लाल नेहरू, श्रीमति इंदिरा गांधी, राजीव गांधी को बड़ी शिद्दत से याद करते हैं। जब बारी संजय गांधी की आती है तो मुट्ठी भर नेता ही जुट पाते हैं उनकी पुण्य तिथि या जन्म दिवस पर। इसके अलावा गांधी नाम जिसने दिया उस फिरोज गांधी को ही भुला दिया कांग्रेसियों ने। न सरकारी विज्ञापन न कोई बड़ा कार्यक्रम होता है उनकी पुण्य तिथि या जन्म दिन पर।

आजादी के उपरांत देश पर सबसे अधिक कांग्रेस ने ही राज किया है। कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों में मनमोहन सिंह ही इकलौते हैं जो पांच साल से ज्यादा चल पाए। वरना तो पंडित जवाहर लाल नेहरू, श्रीमति इंदिरा गांधी के बाद सत्ता राजीव गांधी के हाथों में चली गई थी। वह तो राकांपा नेता शरद पवार थे जिन्होंने सोनिया गांधी के विदेश मूल के मामले को उकेरा, वरना आज सत्ता फिर नेहरू गांधी परिवार के पास घोषित तौर पर होती।

अब राहुल गांधी की ताजपोशी की तैयारियां हो रही हैं। कोई कह सकता है कि देश में प्रजातंत्र है? आज भी वही पुरानी राजशाही ही दिख रही है। जिसमें सत्ता एक के बाद परिवार में ही दूसरे को सौंपी जाती है। राजनीति में भी कमोबेश यही देखने को मिल रहा है। राजनेताओं के पुत्र तत्काल ही अनुकंपा नियुक्ति पा जाते हैं। प्रणव मुखर्जी ने तो अपने पुत्र को स्थापित कर ही दिया।

कितने आश्चर्य की बात है कि भ्रष्टाचार के मामले को लोकसभा में सोनिया गांधी ने एक मर्तबा भी नहीं उठाया। बाबा रामदेव के साथ रामलीला मैदान में हुई रावणलीला पर भी राहुल और सोनिया ने अपना मुंह सिल रखा था। अण्णा हजारे का मामला भी दोनों ने मूकदर्शक बनकर ही देखा। काला धन भारत लाने के मामले में भी दोनों ही नेताओं ने कोई बयान नहीं दिया।

राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी सांसद हैं इस लिहाज से वे जनता की सेवक हैं। राजमाता की ठसक तो देखिए, वर्ष 2009 से अब तक वे कभी संसदीय शिष्ट मण्डल में शामिल नहीं हुंई और तो और उन्होंने कभी भी अंतर्राष्ट्रीय समारोहों में शिरकत नहीं की। सोनिया गांधी अपना कद सरकार के उपर ही समझतीं होंगी तभी तो उन्हें अब तक किसी भी संसदीय समिति का सदस्य नहीं बनाया गया।

आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी ने विदेशों में जमा भारतीयों के गाढ़े पसीने की कमाई को हिन्दुस्तान वापस लाने के मामले को कभी संसद में नहीं उठाया। आजाद भारत गणराज्य के इस राजपरिवार के सदस्यों को भारत की कितनी चिंता है इस बात का अंदाजा दोनों ही के द्वारा संसद की कार्यवाही में हिस्से दारी से लगाया जा सकता है।

ईमानदार छवि वाले अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस के ही नेता देश को नोंच नोंच का खा रहे हैं, मगर राजपरिवार खामोश है। टूजी स्पेक्ट्रम, एस बेण्ड, नोट फार वोट, कामन वेल्थ, आदर्श सोसायटी जैसे अनगिनत घोटाले हुए। सीबीआई को मजबूरी में कदम उठाकर अनेक नेताओं को जेल भेजना पड़ा। यह सब देखने सुनने के बाद मोटी चमड़ी वाले जनसेवकों के साथ ही साथ सोनिया और राहुल भी चुप रहे। क्या यह प्रजातंत्र का अपमान और मजाक नहीं?

देश की सीमाएं असुरक्षित हैं, अंदर ही अंदर नक्सलवाद, अलगाववाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, माओवाद, आतंकवाद आदि भय पैदा कर रहा है। कभी पाकिस्तान तो कभी चीन हमारी कालर पकड़कर झझकोर रहा है। इस सबके बाद भी राजपरिवार यानी गांधी परिवार खामोश है। आम आदमी आज यही सोच रहा है कि आखिर इटली मूल की सोनिया माईनो अपने नेतृत्व में भारत गणराज्य को किस अंधी और अंतहीन सुरंग में ले जा रही है।

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