सोमवार, 5 दिसंबर 2011

क्या माटी का कर्ज चुकाएंगे जनसेवक?


0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 2

क्या माटी का कर्ज चुकाएंगे जनसेवक?

कद्दावर नेताओं की कर्मभूमि रहा है महाकौशल

केंद्रीय और सूबाई मंत्रियों की खदान है महाकौशल


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के हृदय प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर को अगर केंद्र बना दिया जाए तो इसके इर्दगिर्द के लगभग अस्सी जिलों को इससे जोड़ा जा सकता है। वैसे भी महाकौशल क्षेत्र देश और प्रदेश के कद्दावर नेताओं की कर्मभूमि रहा है। कांग्रेस भाजपा और अन्य राजनैतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं ने महाकौशल को सदा से ही अपनी कर्मभूमि बनाया हुआ है।

महाकौशल क्षेत्र का इतिहास अगर देखा जाए तो मध्य प्रदेश के छटवें मुख्यमंत्री के रूप में द्वारका प्रसाद मिश्रा को इसी महाकौशल प्रांत ने प्रदेश को दिया जो 30 सितम्बर 1963 से 8 मार्च 1967 एवं 9 मार्च 1967 से 29 जुलाई 1967 तक मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री पंडित गार्गीशंकर मिश्र की कर्मभूमि भी छिंदवाड़ा और सिवनी ही रही है।

कांग्रेस के खेमे में भी अनेक कद्दावर नेताओं की फौज आज भी महाकौशल का प्रतिनिधित्व करती दिखती है। मध्य प्रदेश और केंद्र में अपनी ईमानदारी एवं दबंग प्रशासनिक क्षमताओं का लोहा मनवाने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा, केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, रामेश्वर नीखरा, सत्येंद्र पाठक, हरवंश सिंह ठाकुर, नर्मदा प्रसाद प्रजापति, बाबू चंद्र मोहन दास आदि न जाने अनगिनत चेहरे हैं। कांग्रेस में श्रीमति उर्मिला सिंह और नंद किशोर शर्मा इसी महाकौशल के वाशिंदे रहे हैं जिनमें से उर्मिला सिंह वर्तमान में हिमाचल प्रदेश की महामहिम राज्यपाल के पद पर विराजमान हैं।

वहीं दूसरी और भाजपा में भी महाकौशल की गोद में अनेक विभूतियां हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष फग्गन सिंह कुलस्ते, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के असंगठित मजदूर संघ के नेशनल प्रेजीडेंट प्रहलाद सिंह पटेल, विधानसभा अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी, मध्य प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष श्रीमति नीता पटेरिया, अजजा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धुर्वे, अनुसुईया उईके, राकेश सिंह आदि बैठे हुए हैं।

वहीं शरद यादव आज जनता दल यूनाईटेड के माध्यम से देश में छाए हुए हैं, उनकी शिक्षा दीक्षा भी जबलपुर में ही हुई और उन्होंने छात्र राजनीति में जबलपुर में ही कदम रखा। अब लाख टके का सवाल यह खड़ा हुआ है कि महाकौशल प्रांत में पैदा हुए या इस प्रांत को कर्मभूमि बनाकर नेम फेम कमाने वाले जनसेवकों द्वारा अपनी इस माटी को प्रथक प्रदेश में तब्दील करने के प्रयास कर इस माटी का कर्ज चुकाने का जतन किया जाएगा अथवा नहीं?

(क्रमशः जारी)

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