बुधवार, 28 दिसंबर 2011

साठ फीसदी अनुसूचित जनजाति रहती है संयंत्र क्षेत्र में


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 41

साठ फीसदी अनुसूचित जनजाति रहती है संयंत्र क्षेत्र में

पचास फीसदी भी नहीं है साक्षरता दर!



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। सुप्रसिद्ध उद्योगपति गौतम थापर के स्वमित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा केंद्र सरकार की छटवीं सूची में अधिसूचित मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर में लगने वाले कोल आधारित पावर प्लांट के बफर क्षेत्र में साठ फीसदी से अधिक तादाद में अनुसूचित जनजाति के लोग निवास करते हैं।
अनुसूचित जाति बाहुल्य इस क्षेत्र में साक्षरता की दर भी काफी कम है। जनगणना 2011 के अनुसार मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के अध्ययन क्षेत्र की कुल जनसंख्या संयंत्र के दस किलोमीटर बफर जोन की परिधि में 49 हजार 32 है। इसमें कुल पारिवारिक इकाईयों की तादाद 9468 बताई गई है।
इस बफर जोन में अनुसूचित जाति का प्रतिशत 6.98 फीसदी और जनजाति का 60.74 फीसदी है। मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड ने अपने कार्यकारी सारांश में इस क्षेत्र की साक्षरता दर 48.40 दर्शाई गई है। बताया जाता है कि यहां साक्षरता दर इससे काफी कम है। संयंत्र प्रबंधन ने इस क्षेत्र में सामाजिक जिम्मेदारी सीएसआरके लिए कुल पांच साल में कुल एक करोड़ रूपए व्यय करने की बात कही गई है।
संयंत्र के लिए लोकसुनवाई 2009 में संपन्न हुई उसके उपरांत अब तक संयंत्र प्रबंधन द्वारा इस मद में क्या कार्यवाही की गई है इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी है। क्षेत्र के लोग दावे से इस बात को कह रहे हैं कि संयंत्र प्रबंधन द्वारा पिछले दो सालों में प्राईमरी, माध्यमिक, हाई या हायर सेकंड्री स्तर पर कोई भी पहल नहीं की गई है। आश्चर्य की बात तो यह है कि यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर भी गौतम थापर या संयंत्र प्रबध्ंान से यह पूछने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं कि आखिर संयंत्र प्रबंधन इस मामले में मौन क्यों है?

(क्रमशः जारी)

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