सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

बलबोड़े मंत्री, बावली सरकार


बलबोड़े मंत्री, बावली सरकार



(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। इन दिनों मप्र सरकार के सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन विवादों के घेरे में अक्सर नजर आते हैं उनके विवादों मंे आने की वजह भी इनके बडबोलापन है जैसे एक नासमझ बच्चा अपने मन पर आए शब्दों को बिना सोंचे समझे बोल देता है और उसका अंजाम की चिंता नहीं करता है उसी तरह मंत्री महोदय भी अपने अनाप सनाप बयान बाजी को लेकर विवादों में घिरे रहते हैं यहीं नहीं इनकी कई बचकाना हरकतों के कारण सरकार को नीचा भी देखना पडा है।
गौरीशंकर बिसेन की विवादों को पूरी तरह जानने के लिये हमें कुछ अतीत मंे जाना होगा बात ज्यादा पुरानी भी नहीं है लगभग सभी पाठकों को यह बात ध्यान होगी कि एक आमसभा पर सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन के द्वारा एक आदिवासी पटवारी को सार्वजनिक रूप से मंच पर बुलाकर उठक बैठक लगवाकर और उसे रिश्वतखोर बोलकर सुर्खियों पर आए थे जिसे जिला कांग्रेस ने भी फुटबाल की तरह लात मारकर उछाला यही नहीं पटवारियों ने सरफिरे मंत्री के द्वारा कराई गई इस ओछी हरकत का विरोध करते हुए पूरे प्रदेश के पटवारियों ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग लेकर अनशन पर बैठ गए थे जिसे भाजपा बचने के लिये कांग्रेस के इशारे पर इस अनशन को अंजाम देने की बात कहती है जब बात नहीं बनी तो भाजपा के ही कुछ चतुर नेताओं ने किसानों की रैली निकाल पटवारियों के खिलाफ मोर्चा खुलवा दिया जिससे पटवारी संद्य भी भयभीत हो अपने अनशन को समाप्त करने के लिये मजबूर हो गया यह बात बहुत कम लोग ही जानते हैं कि सत्ता पर बैठे इन घूंसखोर मंत्रियों के हाथ सभी सरकारी कर्मचारी और अधिकारी के गले पर होते हैं क्योंकि भ्रष्टाचार की मलाई इन्हें भी पहंुचाई जाती है इसी कारण अपनी  बेईज्जती को भूल विवश पटवारी चुपचाप अनशन तोड लिये। मजे की बात यह है कि एक आदिवासी की छबि धूमिल होने की घटना पर जिले के दो आदिवासी विधायक भी मौन साधे बैठे रहे क्योंकि यह अच्छी तरह जानते थे कि अपने ही मंत्री के खिलाफ बोलना इन पर भारी पड सकता है।
गौरीशंकर बिसेन का दूसरा मामला उनकी चंदा वसूली को लेकर जनचर्चा का विषय बना बताया जाता है कि  एक धार्मिक आयेाजन में गौरीशंकर बिसेन ने भारी दिलचस्पी दिखाई थी और इस धार्मिक आयोजन को लेकर वह अपने मंत्री पद की धौंस दिखाकर सरकारी भ्रष्ट अधिकारियों के साथ चोर व्यापारियों से बडी मात्रा में चंदा उगाही कर रहे थे लेकिन एक जबलपुर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र ने इस बात को जब प्रकाशित किया तो मंत्री बिसेन इस सारी बातों से मुकर गये और आनन-फानन में खुद के द्वारा 1 लाख रू. चंदा देने की बात भी कह डाली खैर यह बात सोंचने योग्य है कि मंत्रियों को पैसा कमाने की रास्ते अनेक हैं तो संभवतः इस धार्मिक आयोजन मंे मंत्री बिसेन धर्मलाभ कमाने के उद्देश्य ही चंदा उगाने में लगे रहे होंगे न कि तिजोरी भरने के उद्देश्य से।
खैर जो भी हो लेकिन चंदा वसूली अभियान को लेकर यह एक बार फिर दागदार हो गया यह मामला लोग भूले भी नहीं थे कि गौरीशंकर बिसेन छिंदवाडा के एक राजनैतिक कार्यक्रम मंे जहां बडे-बडे दिग्गज नेताओं ने शिरकत की थी वहां पर मंत्री बिसेन भी अपना जलवा दिखा रहे थे और सभी अपना रुतवा दिखाने पर उतारू थे इसी जलवा दिखाने के चक्क्र मंे मंत्री बिसेन अपनी मर्यादा भूलकर अपने मंत्री पद दुरूपयोग करने से भी नहीं चूके और उनका यह रूतबा देख बडे-बडे दिक्कज भी भौंचक्के रह गये।
मंत्री बिसेन ने मंच मंे ही एक नाबालिक बालक से जूते की लैस बंधवा लिया यह घटना घटते ही मानों कोहराम मच गया हो और चारों ओर से मंत्री बिसेन के खिलाफ आलाचनाएं शुरू हो गई लेकिन बेशर्म मंत्री एक पत्रकार वार्ता मंे यह कहते हुए संतुष्ट हो गये कि बच्चे से जूते की लेस बंधा लिया तो क्या हुआ। जबकि हमारे संविधान में किसी के भी सम्मान को ठेस पहंुचाने का अधिकार किसी भी शख्स को नहीं है चाहे वह राष्ट्रपति हो, प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री लेकिन इन सभी बातों का उल्लंघन हमारे प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने किया और हमारे प्रदेश की सरकार बिसेन के नाटकीय अंदाज को बर्दाश्त करती रही जो समझ के परे है।
उससे भी ज्यादा मजे की बात तो यह है कि अब गौरीशंकर बिसेन भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने की बात मंच मंे कहने से नहीं चूकते इससे यह स्पष्ट होता है कि मंत्री बिसेन भ्रष्टाचार को बढावा देना चाहते हैं एकतरफ प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचार को प्रदेश के जड समेत उखाड फेंकने की बात कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ मंत्री बिसेन जिले के कलेक्टर को सरपंच सचिवों के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने कीबात सार्वजनिक रूप से घोषित कर रहे हैं।
दोनो एक ही पार्टी के नेता हैं ओर दोनो के विचार अलग अलग हैं जब भ्रष्टाचार पर जांच न होने की बात मंत्री ने मंच पर कही तो जबलपुर से प्रकाशित एक समाचार पत्र ने प्रमुखता से लीड समाचार बनाकर प्रकाशित किया जिसमंे तरह-तरह की प्रतिक्रिया सामने आई कुछ बुद्धिजीवों कहना है कि मंत्री के इस कथन से भ्रष्ट अफसर और छोटे नेताओं के होंसले और बुलंद होंगे यह बात सभी जानते हैं कि आज पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार किस तरह समाया हुआ है और भ्रष्टाचार की अधिकांश जांच पंचायत स्तर पर ही चल रही हेैं जिनमंे सरपंच सचिवों के द्वारा ग्राम के विकास के लिये आई राशि का भ्रष्ट अफसरों के साथ मिलकर बंदर बांट कर अपने तिजोरी भर लेते हैं सूत्रों की मानें तो यह बात सत्य है कि इस भ्रष्टाचार की राशि मंत्री तक बतौर नजराना के रूप मंे भेंट की जाती है तो वहीं विधायक निधि और सांसद निधि की बंदरबांट या कमीशनखोरी की बात तो आम है यह था बडबोले में गौरीशंकर बिसेन का सफर जो सरकार को बावली कर कर रखा है।
अपने उटपटांग बयान बाजी को लेकर आलोचना का विषय बना गौरीशंकर बिसेन अब सरकार के लिये सरदर्द बन चुके हैं लेकिन मप्र सरकार मंे गौरीशंकर बिसेन एक ऐसे मंत्री लगते हैं जो किसी के बस पर नहीं हैं परत दर परत आलोचनाओं का शिकार होते गौरीशंकर बिसेन पर न तो प्रदेश के मुखिया  शिवराज ने लगाम लगा पाई और न ही प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने इससे यह प्रतीत होता है कि गौरीशंकर बिसेन अपने ही पार्टी के बडे नेताओं के बस पर नहीं हैं उनकी मर्जी पर जो आता है वह कर देते है और बाद में माफी मांग कर पल्ला झाड लेते हैं इससे पार्टी की छवि धूमिल हो या दागदार इससे उन्हें कोई मतलब नहीं आखिर क्या कारण है कि मंत्री बिसेन पर पार्टी के बडे नेता और पदाधिकारी लगाम नहीं लगा पा रहे हैं कहीं सबकी पोल बिसेन के पास तो नहीं शायद यही एक कारण है कि बडे नेताओं से भी बडे नेता बनकर बिसेन पार्टी को तहस नहस करने के लिये यह बयानबाजी कर रहे हैं यह पार्टी के लिये विचार करने योग्य प्रश्न है।

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