गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

यूआईडीए और खाद्य निगम द्वारा एमपी की प्रशंसा


यूआईडीए और खाद्य निगम द्वारा एमपी की प्रशंसा

(धीरेंद्र श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश में राशन कार्डों को डिजिटाइजेशन और मंडी आवक कार्य का कम्प्यूटरीकरण किये जाने पर यूआईडीए और भारतीय खाद्य निगम के चेयरमेन ने प्रशंसा की है। यहां आयोजित दो दिवसीय सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी राष्ट्रस्तरीय बैठक में मध्यप्रदेश के अपर मुख्य सचिव एंटनी डीसा ने मध्यप्रदेश में किये गये कार्यों की जानकारी दी और विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में इस साल 65 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया जायेगा जो देश में पंजाब के बाद सर्वाधिक होगा। प्रदेश में गेहूं भण्डारण बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।
बैठक में श्री डीसा ने बताया कि मध्यप्रदेश में गेहूं खरीदी के लिए ई-उपार्जन प्रणाली अपनायी गयी है। अभी तक प्रदेश में दस लाख किसानों का पंजीयन किया जा चुका है। इस प्रणाली के तहत पंजीकृत किसानों को एस.एम.एस. से संदेश भेजकर गेहूं खरीदी केन्द्रों पर गेहूं बेचने के लिए आने की सूचना दी जायगी। किसानों से खरीदे गये गेहूं के मूल्य का भुगतान भी एकांउट पेई चैक के माध्यम से किया जायगा। बैठक में चर्चा के दौरान स्पष्ट हुआ कि ई-उपार्जन प्रणाली केवल मध्यप्रदेश में ही लागू की गयी है। भारतीय खाद्य निगम के चेयरमेन ने इस कार्य के लिए मध्यप्रदेश की सराहना की।
श्री डीसा ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश में एक करोड़ से ज्यादा राशन कार्डों का डिजिटाइजेशन अभी तक किया जा चुका है। प्रदेश के छह जिलों में बायोमैट्रिक कार्ड दिये गये हैं। प्रदेश में हुए इस कार्य की यूडीआईए के चेयरमेन ने विशेष तौर पर प्रशंसा की।
उन्होंने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के संबंध में प्रदेश की आपत्तियां बतायीं और कहा कि प्रस्तावित अधिनियम में आबादी के प्रतिशत का आधार अवैज्ञानिक है। इसके स्थान पर मापदंडों में ऐसा प्रावधान किया जाय कि क्षेत्र विशेष में पात्र सभी व्यक्ति इसका लाभ ले सकें। उन्होंने कहा कि अधिनियम के तहत स्टेट फूड कमीशन स्थापित होना है और जिला स्तर पर सैल गठित होना है। इसमें होने वाले व्यय की पूर्ति केन्द्र द्वारा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिनियम में ऐसे प्रदेशों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है जहां पहले से ही कार्य किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इन प्रावधानों को लचीला बनाये जाने की आवश्यकता है।

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