रविवार, 26 फ़रवरी 2012


अध्यक्ष प्रवक्ता आमने सामने

मध्यप्रदेश कांग्रेस में कलह

(रवीन्द्र जैन)

भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश कांग्रेस में भूचाल आने के संकेत मिल रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और पार्टी के प्रवक्ता केके मिश्रा में ठन गई है। उम्मीद है कि जल्दी ही भूरिया, केके मिश्रा को प्रवक्ता पद से हटा सकते हैं। शुक्रवार को भोपाल से इंदौर तक कांग्रेस के कुछ नेताओं ने समझौते का प्रयास भी किया लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। इस पूरी लड़ाई के पीछे भूरिया के पीए प्रवीण कक्कड़ की कांग्रेस संगठन के मामले में बेवजह हस्तक्षेप माना जा रहा है।
पहले केके मिश्रा के बारे में जान लें। केके मिश्रा कांग्रेस में अपने मुखर स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। पहले इंदौर में और उसके बाद भोपाल में उन्होंने विपक्ष में रहकर भाजपा सरकार के खिलाफ कई मामले उठाए। मिश्रा को कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष सुभाष यादव भोपाल लेकर आए थे। सुरेश पचौरी ने अध्यक्ष बनने के बाद मिश्रा के कद और पद को बहाल रखा। सरकार के खिलाफ  पचौरी के कार्यकाल मे।भी मिश्रा के हमले जारी रहे। लेकिन कांतिलाल भूरिया के अध्यक्ष बनने के बाद मिश्रा पर लगाम लगा दी गई। पर्दे के पीछे की कहानी यह है कि भूरिया के पीए प्रवीण कक्कड़ के संबंध इंदौर में जिन व्यवसायियों से हैं उन पर मिश्रा लगातार हमले कर रहे थे। इसी बात को लेकर पहले तो कक्कड़ ने समझौते के प्रयास किये लेकिन मिश्रा नहीं झुके तो उन पर संगठनात्मक प्रतिबंध लगा दिए गए। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय ने केके मिश्रा पर नकेल कसने के लिए ही आदेश जारी किया कि कोई भी प्रवक्ता बगैर पूछे किसी के खिलाफ बयान नहीं दे सकते। यही नहीं इस आदेश में केके मिश्रा को केवल विंध्य क्षेत्र के मामलों में ही बयान देने की छूट दी।
केके मिश्रा अपने ऊपर लगी पाबंदियों से पहले ही नाखुश थे। इसी बीच प्रदेश के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र ने खबर छापी कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष भूरिया को साधने के लिए उनके पीए प्रवीण कक्कड़ के पुत्र सलिल कक्कड़ के नाम शराब फैक्टरी का लायसेंस जारी किया है। भूरिया कैंप का शक है कि यह खबर केके मिश्रा के दिमाग की उपज है। इसी बीच मध्यप्रदेश लोकायुक्त पीपी नावलेकर के बेटे सिद्धार्थ नावलेकर के जमीन के धंधे से जुड़ी एक खबर और बिच्छु डांट कॉम ने छापी इसका शक भी केके मिश्रा पर किया जा रहा है। बताते हैं कि यह दोनों खबर छपने से पहले भूरिया और कक्कड़ ने इंदौर के कांग्रेस विधायक के जरिए केके मिश्रा को समझाने का प्रयास किया था। जबाब में मिश्रा ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी मुहिम रुकने वाली नहीं है। मिश्रा ने भूरिया को यह संदेश भी भेजा कि राजनीति उनके परिवार का व्यवसाय नहीं है। वे कुछ सिद्धांतों को लेकर संगठन में काम कर रहे हैं। यदि इन सिद्धांतों पर नहीं चल सकते तो संगठन के पद पर बैठने का कोई अर्थ नहीं है।
भूरिया के खिलाफ हुई अखबारबाजी के बाद प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव रवि जोशी ने मीडिया से ऑफ द रिकार्ड बातचीत में संकेत दिया है कि पार्टी अध्यक्ष भूरिया अब केके मिश्रा को संगठन में नहीं रखना चाहते और इस संबंध में उन्होंने दिल्ली को भी बता दिया है। उम्मीद  की जा रही है कि जल्दी ही केके मिश्रा कांग्रेस के प्रवक्ता पद से बिदा हो जाएंगे।
इस संबंध में केके मिश्रा का कहना है कि संगठन में पद पर रखना न रखना अध्यक्ष का विशेष अधिकार है। लेकिन कांग्रेस और उसकी विचारधारा से मुझे कोई दूर नहीं कर सकता। जोशी और मिश्रा की बातों से लगता है कि आने वाला समय कांग्रेस के लिए भूचाल से कम नहीं होगा। यदि मिश्रा को पद मुक्त किया तो वह पर्दे के पीछे से भूरिया और कक्कड़ को बेनकाब करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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