शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

ओले पाले पर सवार शिवराज की विकास यात्रा!


ओले पाले पर सवार शिवराज की विकास यात्रा!



(लिमटी खरे)

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के निराशजनक प्रदर्शन, कमजोर विपक्ष के बल पर भाजपा अपने नौ साल का शासन पूरा करने जा रही है। सूबे में भाजपा की विकास यात्रा निकल रही है। भाजपा कहती है यह विकास यात्रा संगठन की है, सत्ता को इससे कुछ लेना देना नहीं है। उधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पगड़ी वाली फोटो के साथ सूबे का जनसंपर्क महकमा पूरे पेज के मंहगे रंगीन विज्ञापन जारी कर विकास यात्रा का गुणगान करता है। यह बात समझ से परे है कि विकास यात्रा सत्ता की है या संगठन की! इस मामले में कांग्रेस को मानो सांप सूंघ गया है। सिवनी जिला मुख्यालय में विकास यात्रा का आगाज 17 फरवरी से किया गया, 15 फरवरी को ग्रामीण अंचलों में ओले से गरीब अन्नदाता किसानों की फसलें खराब हुईं, भाजपा पर सेठ साहूकारों की पार्टी होने का आरोप भी है अब भाजपा शहर के सेठ साहूकारों से पूछती फिर रही है कि उन्हें कितना नुकसान हुआ है! गरीब गुरबों की सुध लेने वाला कोई भी नहीं है। अभी 2010 में हुई अतिवृष्टि ओला वृष्टि का मुआवजा भी नहीं मिल पाया है।

भारतीय जनता पार्टी की किस्मत वाकई मध्य प्रदेश में बेहद अच्छी कही जा सकती है, क्योंकि 2003 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस के मुंह की खाने के उपरांत किसी भी नेता ने इसे उठाने का जतन नहीं किया। तत्कालीन अध्यक्ष सुभाष यादव, उसके बाद सुरेश पचौरी और अब कांतिलाल भूरिया भी कमजोर विपक्ष के सूत्रधार माने जा सकते हैं। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा कांग्रेस को न जाने कितने लुभावने मौके दिए जिन पर अगर कांग्रेस अड़ जाती तो शिवराज सिंह चौहान को बैकफुट पर जाने पर मजबूर होना पड़ता। विडम्बना यह है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस बिना रीढ़ की हो चुकी है।
मीडिया में कांग्रेस पर ‘‘मैनेज‘‘ होने के आरोप लग रहे हैं। विदिशा में लोकसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल अपना फार्म ही दाखिल नहीं कर पाते हैं। जनता हैरान हुई, राजकुमार पटेल जो दिग्विजय सिंह के खासुल खास हैं और मध्य प्रदेश सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री रहे हैं, उनसे इस तरह की गल्ति की उम्मीद नहीं की जा सकती। जनता परेशान पर कांग्रेस के नेता तो नीरो के मानिंद बजाते ही रहे बांसुरी।
भाजपा की विकास यात्रा के बारे में सरकार के आधिकारिक प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि यह यात्रा सरकारी नहीं संगठन की है। सरकार को इससे कुछ लेना देना नहीं है। नरोत्तम मिश्रा के बयान के तीन दिन बाद ही अखबारों में भर पेज के रंगीन विज्ञापन जारी कर दिए जाते हैं पब्लिसिटी डिपार्टमेंट द्वारा। क्या माना जाए? यह विकास यात्रा सरकारी है या पार्टी की? इस मसले पर भी कांग्रेस ने अपना मुंह सिल रखा है। यह सरकारी पैसे के दुरूपयोग का मामला है। कांग्रेस और भाजपा की नूरा कुश्ती में मध्य प्रदेश की जनता पिस रही है।
विधायक और सांसद विकास यात्रा में जी जान से जुटे हैं कहीं कहीं सांसदों विधायकों के कन्नी काटने की खबर भी है। कुल मिलाकर विकास यात्रा में शिवराज सिंह चौहान ने सरकारी मशीनरी को पूरी तरह झोंक दिया है। विकास यात्रा की आड़ में केंद्र सरकार से आई इमदाद का मद ही बदलकर उसे बलराम योजना का नाम दिया जाकर हर गांव में भूमिपूजन का प्रोग्राम किया जा रहा है। एकाध जिले को छोड़कर बाकी हर जिले में कांग्रेस यहां तक कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस मामले में अपना मौन तोड़ने को तैयार नहीं दिख रही है।
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में भी शिवराज सिंह का विकास रथ दौड़ रहा है। गति इस कदर तेज है मानो आंधी आ रही हो। परिसीमन में समाप्त हुई सिवनी लोकसभा की अंतिम सांसद और जिला मुख्यालय सिवनी को अपने में समाहित करने वाली सिवनी विधानसभा की विधायिका श्रीमति नीता पटेरिया द्वारा एक सप्ताह में दौ सौ गांवों का दौरा कर लिया जाता है। देश भर के लोग हैरान हैं कि आखिर किस गति से विधायिका जी ने शिव के रथ को दौड़ाया?
कहा जाता है कि श्रीमति पटेरिया में गजब की संगठनात्मक ताकत है। वे गजब की तेजी से जनसंपर्क करतीं हैं। पूर्व में सांसद रहते श्रीमति पटेरिया के बारे शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष इमरान पटेल ने आरोप लगाया है कि उन्होंने एक सरकारी अधिकारी के परिजन के नाम से आरटीओ पंजीबद्ध निजी वाहन को अपना बताकर एक दिन में सात सौ किलोमीटर का जनसंपर्क पर डीजल भी ले लिया था। जबकि डीजल उन्हें उनके अपने वाहन के नाम पर ही मिल सकता है। तत्कालीन जिलाधिकारी सिवनी रहे पिरकीपण्डला नरहरि को शायद इस बात की भनक थी, पर वे मजबूरी में शांत रहे। तत्कालीन सांसद का साथ देने का ईनाम उन्हें अब मिला और वे आज ग्वालियर जैसे संभागीय मुख्यालय में कलेक्टर की आसनी पर विराजमान हैं।
सिवनी शहर से लगे ग्राम डोरली छतरपुर के आसपास एक शेरनी और दो शावकों के होने की खबर है। एक बुजुर्ग के शिकार की चर्चा भी इस शेरनी द्वारा किए जाने की है। इस मामले में मीडिया चीख पुकार कर रहा है, पर सांसद विधायक को अब तक शिवराज सिंह चौहान की विकास यात्रा से फुर्सत नहीं मिल पाई कि वे वन विभाग से इस बारे में मालुमात कर सकें। जबकि विकास यात्रा में पूरा सरकारी अमला विधायक सांसद के साथ कदम से कदम मिलाकर ही चल रहा है।
15 फरवरी को सिवनी में गजब का तूफान आया। ओलों ने किसानों की खड़ी फसले और वृक्षों पर बैठे परिन्दों को अपनी चपेट में ले लिया। चौतरफा हाहाकार मचा हुआ है। अब चूंकि विकास यात्रा में  परिसीमन में समाप्त हुई सिवनी लोकसभा की अंतिम सांसद और जिला मुख्यालय सिवनी को अपने में समाहित करने वाली सिवनी विधानसभा की विधायिका श्रीमति नीता पटेरिया अपनी विधानसभा के दो सौ से भी ज्यादा गांवों का दौरा करके आ चुकीं हैं अतः दुबारा किसानों का दुख दर्द भला वे कैसे पूछने जाएं।
विकास यात्रा का अंतिम चरण यानी शहर में यह यात्रा आरंभ हो चुकी है। अमूमन शहर में संपन्न किसान यानी सेठ साहूकार ही बसते हैं जिनके पास जमीनों की कमी नहीं है। क्या इन परिस्थितियों में यह माना जाए कि सेठ साहूकारों की पार्टी होने का तमगा पीठ पर लगाने वाली भारतीय जनता पार्टी अब सेठ साहूकारों से उनकी फसलों की नुकसानी जानने आतुर है।
वस्तुतः होना तो यह चाहिए था कि सिवनी में भाजपा को अपनी विकास यात्रा का रूख शहर के बजाए गांव की ओर करना चाहिए था। सरकारी अधिकारी और कर्मचारी को साथ लेकर देश के अन्नदाता किसान की रिसते घावों पर मरहम लगाना था। कुछ दिन पूर्व भी बरघाट के विधायक कमल मस्कोले और सिवनी विधायिका श्रीमति नीता पटेरिया ने किसानों से हमदर्दी बताकर दौरा करने की बात मीडिया में सुर्खियों में आई थी। होना तो यह चाहिए था कि विधायकों को विकास यात्रा के इस ढकोसले को तजकर अब तक प्रशासन से मिलकर आनावारी तक तय करवा दी जानी चाहिए थी। वस्तुतः एसा हुआ नहीं है।
वैसे मध्य प्रदेश के किसान इस बात को अभी नहीं भूले होंगे कि वर्ष 2010 में उनकी फसलें ओला पाला से नष्ट हो गईं थीं। इसके बाद लुभावने वादे करने में अग्रणी सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान ने चार सौ करोड़ रूपयों से ज्यादा बांटने की बात बुरदलोई मार्ग पर स्थित मध्य प्रदेश भवन में पत्रकारों से रूबरू होकर कहीं थीं। उन्होने कहा था कि कांग्रेसनीत केंद्र सरकार द्वारा मुआवजा नहीं दिया जा रहा है।
वास्तविकता यह थी कि ओला पाला प्राकृतिक आपदा में शामिल ही नहीं है। इन परिस्थितियों में केंद्र सरकार आखिर मध्य प्रदेश के किसानों को कैसे मदद करती। 2011 के शुरूआती माहों में जब भी शिवराज सिंह चौहान दिल्ली आए उन्होंने केंद्र से मुआवजा नहीं देने के आरोपों को मीडिया के सामने जमकर उछाला। वस्तुः शिवराज सिंह चौहान को यह मांग प्रधानमंत्री से करना था कि आला पाला को प्राकृतिक आपदा में शामिल किया जाए ताकि भविष्य में किसानों को इसका लाभ मिले।
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार और प्रभात झा के नेतृत्व में भाजपा संगठन विकास यात्रा पर है। यह विकास यात्रा में 2010 में ओला पाला प्रभावित किसानों के रिसते घावों पर मरहम लगाएगी या नकम छिड़केगी, यह तो वक्त ही बताएगा पर सिवनी जिले में विकास यात्रा का रूख पुनः गांव की ओर कर किसानों को सांत्वना देने के बाजए सेठ साहूकारों के बीच जाकर भाजपा आखिर साबित क्या करना चाह रही है यह प्रश्न अवश्य ही विचारणीय कहा जा सकता है।

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