बुधवार, 28 मार्च 2012

किसी भी कंपनी और जनसेवक को नहीं सिवनी की परवा


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  82

किसी भी कंपनी और जनसेवक को नहीं सिवनी की परवाह

पावर प्लांट कंपनियों ने नहीं खोला सिवनी में एक भी कार्यालय

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले को देश भर के उद्योगपतियों और राजनेताओं ने चारागाह बना लिया है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक के उपरांत सिवनी में लूट खसोट का कभी न थमने वाला सिलसिला चल पड़ा है। जिला मुख्यालय सिवनी में पावर ग्रिड के डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम स्थापित किया गया, अनेक उद्योग आए और गए किन्तु सिवनी की झोली में कुछ भी नहीं आ पाया।
2008 के उपरांत सिवनी जिले में मानो कोल आधारित पावर प्लांट्स की बाढ़ सी आ गई है। विकास के नाम पर विनाश का काम करने पर आमदा मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार वैसे तो आदिवासियों के हितों को साधने की बात कही जाती है पर जब अमली जामा पहनाने की बारी आती है तो शिवराज सिंह चौहान इन आदिवासियों के सबसे बड़े दुश्मन के बतौर ही सामने आते हैं।
वर्ष 2008 में सबसे पहले आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के ग्राम बरोदा में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा कोल आधारित 600 मेगवाट के पावर प्लांट की बात कही गई। इसके बाद यह बढ़कर 1200 और फिर 1260 मेगावाट का हो गया। इसके लिए कितनी जमीन चाहिए इस बारे में संयंत्र प्रबंधन बार बार गलत बयानी करता रहा। संयंत्र पर आदिवासियों की उपेक्षा के गंभीर आरोप भी लगे।
इसके उपरांत हाल ही में सदर्न इंजीनियरिंग वर्क्स (एसईडब्लू) पावर प्लांट डालने की गरज से मैदान में आ गई है। यह भी कोल आधारित पावर प्लांट लगाने की तैयारी में है, इसके लिए एसईडब्लू ने आदिवासियों की जमीनें खरीदने का काम आरंभ कर दिया है।
अब घंसौर के ग्राम बरोदा के आसपास की जमीनों की खरीदी बिकावली का काम जोरों पर चलने की बाज प्रकाश में आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 1959 में वल्लुरूपल्ली नागेश्वर राव द्वारा विजयवाड़ा में स्व.वाय पूरनचंद राव और वायएमजी नागेश्वर राव के साथ मिलकर सदर्न इंजीनियरिंग वर्क्स की स्थापना की थी। इस कंपनी ने अपने पहले प्रोजेक्ट के बतौर आंध्र प्रदेश के नागार्जुन सागर बांध निर्माण का काम हाथ में लिया था। एसईडब्लू के भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि इस परियोजना की लागत अधिक होने से कंपनी का विस्तार किया गया जिसमें अनेक लोगों की भागीदारी हो गई।
कंपनी के द्वारा अनेक परियोजनाओं को अपने हाथ में लिया गया है। कंपनी सूत्रों ने बताया कि एसईडब्लू ने कांग्रेस के एक केंद्रीय मंत्री से नजदीकी (15 फीसदी उनका हिस्सा देकर) का फायदा उठाकर महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में वाटर सप्लाई का काम भी हासिल कर लिया है। सूत्रों की मानें तो अब कपंनी उन्हीं केंद्रीय मंत्री के संपर्कों (15 फीसदी उनका कमीशन देकर) मध्य प्रदेश में बड़े ठेके हासिल करना चाह रही है।

कोई टिप्पणी नहीं: