सोमवार, 12 मार्च 2012

आदिवासियों का हर्बल ज्ञान राज्यपाल के हाथों सम्मानित


आदिवासियों का हर्बल ज्ञान राज्यपाल के हाथों सम्मानित



(रजनी अर्गल)

अहमदाबाद (साई)। गुजरात प्रांत के आदिवासी बाहुल्य जिले डाँग में हर वर्ष की तरह डाँग दरबार का आयोजन जोर शोर से किया गया। अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही इस परंपरा का निर्वाहन पिछ्ले १०० वर्षों से अधिक से हो रहा है। इस दौरान यहाँ के ५ राजाओं को सरकारी पेंशन आवंटन के साथ सम्मानित भी किया जाता है। गुजरात राज्य की राज्यपाल महामहिम डॉ कमला बेनिवाल की गरिमामयी उपस्थिती और राज्य के अनेक मंत्रिमंडल सदस्यों, राजनेताओं व प्रशासनिक अधिकारियों के समझ इस कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ।
कार्यक्रम में महामहिम राज्यपाल के अलावा वन एवं पर्यावरण तथा आदिम जाति कल्याण केबीनेट मंत्री श्री मंगुभाई पटेल, डाँग जिला प्रभारी मंत्री रंजीतभाई गिलीटवाला, वलसाड सांसद किशनभाई पटेल, डांग तहसील विधायक विजय पटेल भी उपस्थित थे। प्रशासनिक अधिकारियों के तौर पर गुजरात राज्य के वन एवं पर्यावरण विभाग के अग्र सचिव डॉ एस के नंदा और स्थानिय जिला अधिकारी प्रवीणभाई सोलंकी भी उपस्थित थे।
इस वर्ष डाँग दरबार का एक और प्रमुख आकर्षण यहाँ के हर्बल जानकारों, जिन्हे भगत कहा जाता है, का सम्मान था। अहमदाबाद- गुजरात की अभुमका हर्बल प्रा. लि. कंपनी ने इन आदिवासियों को पारंपरिक हर्बल चिकित्साओं को सफ़ल संचालित करने और उन्हे प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिकरूप से सम्मानित किया। डाँग जिले के ४ प्रमुख हर्बल जानकारों और यहाँ की भगत मंडली को राज्यपाल महामहिम डॉ कमला बेनिवाल के हाथों चेक भुगतान के अलावा, सर्टिफ़िकेट्स, शॉल और श्रीफल देकर आभार प्रकट किया गया। मनीष सिंह (डायरेक्टर, बिजनेस डेव्लपमेंट- अभुमका हर्बल) ने बताया कि पिछ्ले सात वर्षों से कंपनी डाँग जिले के आदिवासी हर्बल जानकारों को ज्ञान के संकलन का कार्य कर रही है और गत दो वर्षों से उत्पादों का खुले बाजार में आने का क्रम शुरू हुआ है और हर उत्पाद की बिक्री से मुनाफ़े का कुछ हिस्सा इन आदिवासी हर्बल जानकारों को दिया जाएगा।
आदिवासियों के पारंपरिक हर्बल ज्ञान के इस तरह के सम्मान को सराहा जाना चाहिए। कंपनी के डायरेक्टर- रिसर्च एंड डेव्लपमेंट, डॉ दीपक आचार्य का कहना है कि ये सिर्फ़ एक प्रयास है ताकि आदिवासियों की अगली पीढी को इस ज्ञान के सीखने में रूचि हो और आधुनिक विज्ञान के लिए यह ज्ञान एक महत्वपूर्ण औजार बने ताकि आम जनों तक हर्बल कारगर दवाएं आसानी से पहुँचे। ज्ञात हो कि अभुमका हर्बल भारत की इकलौती ऐसी कंपनी है जो पूर्णरूपेण आदिवासियों के ज्ञान पर आधारित उत्पादों को बाजार में लाने के लिए प्रयासरत है।
कार्यक्रम में उपस्थित डॉ एस के नंदा, वन एवं पर्यावरण अग्र सचिव- गुजरात सरकार ने अभुमका हर्बल के इन प्रयासों को अत्यंत सराहा और कहा कि ऐसे प्रयास एक नये समाज का निर्माण करेंगें जिसमें आदिवासियों को समाज की मुख्य धारा से जोडने के साथ उनके सामाजिक मूल्यों और ज्ञान को भी सहेज कर रखा जा सकेगा।
डॉ आचार्य ने जानकारी दी कि कंपनी वर्तमान में भारत के तीन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और सवाई माधोपुर (राजस्थान) के आदिवासियों के बीच कार्य कर रही है, उत्पादों की अगली शृंखला में पातालकोट और सवाई-माधोपुर भी शामिल हो जाएंगें।

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