मंगलवार, 26 जून 2012

महिलाओं को मिले शौचालय का संवैधानिक अधिकार


महिलाओं को मिले शौचालय का संवैधानिक अधिकार

(सुधीर नायर)

तिरूअनंतपुरम (साई)। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने शौचालय और सफाई के मामले में भारतीय मानसिकता की कड़ी आलोचना की है. और इस बात पर जोर दिया है कि इस समस्या को राजनीतिक और सामाजिक इच्छा शक्ति के बिना नहीं दूर किया जा सकता है. उनकी मान्यता है कि कम-से-कम महिलाओं के लिए शौचालय को संवैधानिक अधिकार बना देना चाहिए.
भारत देश में कुछ लोग इस बात पर हंस सकते हैं जहाँ शौचालय और साफ- सफाई की संस्कृति न हो लेकिन जयराम रमेश की बात से तर्कतः असहमत होना असंभव है. उनका कहना है कि शौचालय हर महिला का मौलिक अधिकार है. उसकी निजता के लिए, उसकी गरिमा के लिए.....शौच को लेकर भारतीय मानसिकता की उन्होंने जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि भारत में लोग खुले में शौच को अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं. खुले में शौच करना भारतीय मानसिकता की खासियत है.
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश तिरुवनंतपुरम में राज्य के मंत्रियों और अधिकारयों के साथ साफ-सफाई में केरल की प्रगति की समीक्षा बैठक ले रहे थे. उन्होंने कहा कि शौचालय की न बनाने और खुले में शौच करने की प्रवृत्ति क्या प्रगतिशील प्रदेश क्या बीमारू (बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान उत्तर प्रदेश) प्रदेश सभी में एक-सी है. शौचालय और सफाई के मामले में तो पूरा देश बीमारू है.
रमेश ने याद दिलाया कि खुले में फराकत करने वाले दुनिया के ६० प्रतिशत लोग भारत में रहते हैं. इस गंभीर समस्या, जो कई जान लेवा बीमारियों का कारण है, की सही समझदारी पेश करते हुए रमेश ने कहा कि शौचालय निर्माण कार्यक्रम सरकारी कार्यक्रम नहीं हो सकता है, यह एक राजनीतिक कार्यक्रम है. राजनीतिक वर्ग को सफाई के मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर लेना चाहिए. नहीं तो समस्या ज्यों- की -त्यों बनी रहेगी. यह शौचालय निर्माण कार्यक्रम नहीं है, बल्कि सामाजिक सुधार का कार्यक्रम है.
जयराम रमेश का यह बयान क्या पूरे राजनीतिक वर्ग को उस रस्ते पर ले जायेगा जिस पर कभी महात्मा गाँधी चलते थे और शौचालय और साफ-सफाई को अपने राजनीतिक कार्यक्रम के साथ-साथ रखते थे.

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