रविवार, 22 जुलाई 2012

अंततः रायसीना हिल्स पर बंगाल टाईगर का कब्जा

अंततः रायसीना हिल्स पर बंगाल टाईगर का कब्जा

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। आशंकाओं कुशंकाओं के बीच अंततः राष्ट्रपति चुनावों में पश्चिम बंगला मूल के प्रणव मुखर्जी ने अपनी धमाकेदार जीत दर्ज करा ही दी। कथित तौर पर गल्ति के कारण मुलायम सिंह यादव का वोट रद्द कर दिया गया है। इसके अलावा कांग्रेस के मंत्रियों में प्रतिभा पाटिल को हटाने की जल्दी भी साफ देखी जा रही है।
प्रणव मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति बन गए हैं। प्रणव ने अब तक जीत के लिए जरूरी 5,14,875 वोटों से ज्यादा वोट हासिल कर लिए हैं। प्रणव मुखर्जी को अब तक 7,13,555 से ज्यादा वोट मिल चुके हैं। हालांकि, अभी काउंटिंग जारी है और रिजल्ट की औपचारिक घोषणा बाकी है। जीत की औपचारिक घोषणा चुनाव आयोग बाद में करेगा।
प्रणव मुखर्जी ने एनडीए उम्मीदवार पी.ए. संगमा को हराया है। गौरतलब है कि कांग्रेसियों ने रविवार की सुबह से ही जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया है। प्रणव मुखर्जी के आवास 13 तालकटोरा की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रवण मुखर्जी के घर कई सीनियर कांग्रेसी नेता पहुंच गए हैं। राहुल गांधी और सोनिया गांधी प्रणव मुखर्जी को बधाई देने उनके घर पहुंचे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फोन पर बधाई दी है। 25 जुलाई को प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।
संसद भवन के हॉल नंबर 63 में वोटिंग का काम चल रहा है। सांसदों के वोटों में प्रणव मुखर्जी को 527, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी पी. ए. संगमा को 206 सांसदों के वोट मिले हैं। 15 सांसदों के वोट अवैध घोषित किए गए हैं। राजनीतिक दल अब इस बात पर चर्चा करने लगे हैं कि मुखर्जी किस तरह के राष्ट्रपति होंगे। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा है कि सालों के अपने अनुभव के कारण प्रणव सबसे बुद्धिमान राष्ट्रपति होंगे।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुखर्जी से मुलाकात की और उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि जब से इस पद के लिए उनके नाम की घोषणा हुई है, पूरे देश में माहौल उनके पक्ष में बना हुआ है। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस का समर्थन मिलने के बाद मुखर्जी की जीत और पुख्ता हो गई थी। मुखर्जी को कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए के अलावा समाजवादी पार्टी (एसपी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और जनता दल (सेक्युलर) का भी समर्थन प्राप्त है। इसके अलावा एनडीए के घटक- जनता दल (यूनाइटेड) और शिव सेना तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) व फॉरवर्ड ब्लॉक ने भी मुखर्जी का समर्थन किया है।
दूसरी ओर, विपक्ष समर्थित उम्मीदवार संगमा को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), अकाली दल, असम गण परिषद, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) और बीजू जनता दल (बीजेडी) के समर्थन प्राप्त हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया है।
उधर, कोलकता से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संवाददाता काजल दत्ता ने खबर दी है कि प्रणव की बहन की भविष्यवाणी सही साबित हुई और उसका भाई देश के सर्वाेच्च पद पर पहुंच ही गया। हम यहां बात कर रहे हैं देश के 13वें प्रेजिडेंट बनने वाले प्रणव मुखर्जी और उनकी बहन अन्नपूर्णा की।
एक हिंदी न्यूज चौनल के दिए इंटरव्यू में प्रणव मुखर्जी ने बताया कि एक बार जब वह युवा सांसद थे, तब उन्होंने प्रेजिडेंट हाउस देखते हुए अपनी बहन से कहा था कि वह अगले जन्म में कुलीन प्रजाति के घोड़े के रूप में जन्म लेना चाहते हैं, ताकि वह रार्ष्ट्पति भवन में पहुंच सकें। इस बात पर उनकी बहन ने तभी कहा था कि राष्ट्रपति का घोड़ा क्यों बनोगे, तुम इसी जीवन में राष्ट्रपति बनोगे।
मुखर्जी ने बताया कि उनके 10 साल बड़ी बहन अन्नपूर्णा के साथ वह दिल्ली में अपने आधिकारिक आवास के बरामदे में चाय की चुस्कियों के बीच बातचीत कर रहे थे, जब अन्नपूर्णा ने भाई के राष्ट्रपति बनने के बारे में भविष्यवाणी की थी। अन्नपूर्णा ने कहा कि मुखर्जी के आवास से राष्ट्रपति भवन दूर नहीं था और बरामदे से हम घोड़ों को ले जाने वाले रास्ते को देख सकते थे। हम घोड़ों की देखभाल करने वालों और उन्हें खिलाने-पिलाने वालों को देख सकते थे। अन्नपूर्णा ने कहा कि मुखर्जी ने कहा था कि जब मैं मरूंगा तो अगले जन्म में राष्ट्रपति का घोड़ा बन जाऊंगा। इसके बाद मैंने कहा, राष्ट्रपति का घोड़ा क्यों बनोगे, तुम इसी जीवन में राष्ट्रपति बनोगे।
आज उनकी बहन खुश हैं कि उनकी भविष्यवाणी सही साबित हुई, लेकिन वह इस बात से दुखी भी हैं कि नई दिल्ली में होने वाले मुखर्जी के शपथ-ग्रहण समारोह में वह नहीं जा पाएंगी, क्योंकि अधिक उम्र की वजह से उन्हें जाने-आने में परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि बचपन में मुखर्जी बहुत नटखट थे। वह मुझसे रुकने के लिए कहता और मुझे उसके लिए खड़ा होना पड़ता, यदि मैं आगे बढ़ जाती तो वह मेरे बाल खींचकर मुझसे कहता, क्या मैंने रुकने के लिए नहीं कहा था।
प्रणब को 527 जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी पी ए संगमा को 206 सांसदों के वोट मिले हैं। 15 सांसदों के वोट अवैध घोषित किए गए हैं। राज्यों से विधायकों के वोटों की गिनती का काम जारी है। अरुणाचल प्रदेश से 42 वोट प्रणब के पाले में पड़े जबकि संगमा के पक्ष में महज तीन वोट ही गए हैं। आंध्र प्रदेश के 185 विधायकों में से 182 ने प्रणब के पक्ष में जबकि मात्र तीन विधायकों ने संगमा को वोघ्ट दिया। संगमा के गृह राज्य मेघालय के वोटों की गिनती अभी बाकी है। लेकिन पूर्वाेत्तर भारत के दो राज्घ्यों (अरुणाचल प्रदेश और असम) में भी संगमा को विधायकों का साथ नहीं मिला है।
 बिहार से प्रणब को 146 जबकि संगमा को 90 वोट मिले। चार वोट अवैध करार दिए गए। छत्तीसगढ़ से प्रणब को 39 जबकि संगमा को 50 विधायकों के वोट मिले। यहां एक वोट अवैध घोषित किया गया है। गोवा में प्रणब को 9, जबकि संगमा को 31 विधायकों के वोट मिले हैं। गुजरात से प्रणब को 59 जबकि संगमा को 123 विधायकों के वोट मिले हैं। हरियाणा से प्रणब के पाले में 53 जबकि संगमा के पाले में 29 वोट गए हैं। हिमाचल प्रदेश से प्रणब को 23 वोट जबकि संगमा को 44 वोट मिले हैं।
झारखंड से प्रणब को 60 तो संगमा को 20 वोट मिले हैं। जम्मू-कश्मीर से प्रणब को 68 तो संगमा को 15 विधायकों के वोट मिले हैं। बीजेपी शासित कर्नाटक से प्रणब को 117 जबकि संगमा को 103 विधायकों का साथ मिला है। यहां बीजेपी के 122 विधायक हैं, इनमें से 17 ने क्रॉस वोटिंग की है। केरल से प्रणब को 124 विधायकों के वोट मिले, जबकि संगमा को एक भी वोट नहीं मिला है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव का मतपत्र रद्द कर दिया है। उन्होंने पहले संगमा को वोट दिया। गलती सुधारने के लिए मतपत्र फाड़ा। फिर दूसरे मतपत्र पर प्रणब मुखर्जी को वोट दिया। गुजरात के भाजपा विधायक कनु कलसारिया ने कहा कि उन्होंने पार्टी लाइन के विपरीत जाकर प्रणब दा को वोट दिया। वे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से नाराज थे। इस वजह से यह कदम उठाया।
कांग्रेस के मंत्रियों में प्रतिभा पाटिल को हटाने की जल्दी साफ देखी जा रही है। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील का कार्यकाल खत्म होने (24 जुलाई) में अभी कुछ दिन बाकी है, लेकिन केंद्र सरकार के कुछ मंत्री प्रणब मुखर्जी को नया राष्ट्रपति मान चुके हैं। कई मंत्रियों ने अपने स्घ्टॉफ को यह ऑर्डर दे दिया है कि उनके चौंबर में प्रतिभा पाटील की जगह प्रणब मुखर्जी की तस्घ्वीर लगा दी जाए।
रविवार को राष्ट्रपति चुनाव के वोटों की गिनती से एक दिन पहले ही कई मंत्रियों के चौंबर में प्रणब की तस्वीर ने पाटील की जगह ले ली। एक वरिष्घ्ठ मंत्री ने तो प्रणब की तस्वीर के साथ ही अपनी भी बड़ी सी फोटो लगवा दी।
उधर, राष्ट्रपति चुनाव में हार के बाद पीए संगमा ने कहा कि उनकी हार देश की जनजातीय समुदाय की हार है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान केंद्र सरकार ने राज्यों को पैकेज देकर प्रणब दा के पक्ष में वोट जुटाया। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में भी आचार संहिता लागू करने की मांग की।
राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने पर उन्होंने सभी समर्थकों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक तथा जयललिता का विशेष रूप से आभार जताया। हालांकि उन्होंने भाजपा नीत राजग गठबंधन में शामिल होने की संभावना से इन्कार कर दिया।
ज्ञातव्य है कि भारत गणराज्य के संविधान की धारा 52 के तहत देश में सर्वोच्च पद दिया गया है महामहिम राष्ट्रपति को। रायसीना हिल्स स्थित महामहिम राष्ट्रपति की कोठी को आशियाना बनाने की चाहत वैसे तो हर एक राजनेता की होती है। इस आवास तक का सफर तय करने में अब तक ना जाने कितने रोचक तथ्य सामने आ चुके हैं।
देश में अब तक 13 बार महामहिम राष्ट्रपति का चुनाव हुआ है। इसमें से महज एक बार ही निर्विरोध तौर पर महामहिम राष्ट्रपति का चुनाव किया जा सका है। इसके अलावा हर बार महामहिम राष्ट्रपति का चुनाव मतदान से ही हुआ है। 1977 में चुने गए महामहिम राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ही देश के अब तक के निर्विरोध चुने गए महामहिम राष्ट्रपति रहे हैं।
आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि 1977 में दो रिकार्ड एक साथ बने थे। पहला तो यह कि पहली बार सबसे अधिक 36 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे और दूसरा यह कि 36 उम्मीदवारों के मैदान में होने के बावजूद भी नीलम संजीव रेड्डी को निर्विरोध भारत गणराज्य का महामहिम राष्ट्रपति नियुकत किया गया था।
हुआ यूं कि 1977 के चुनावों में नीलम संजीव रेड्डी के खिलाफ 36 उम्मीदवारों ने ताल ठोंकी। जब उनके निर्वाचन फार्म चुनाव अधिकारी के पास परीक्षण के लिए पहुंचे तो चुनाव अधिकारी ने सभी 36 नामांकन ही निरस्त कर दिए। फिर क्या था नीलम संजीव रेड्डी चुन लिए गए निर्विरोध महामहिम राष्ट्रपति।

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