गुरुवार, 5 जुलाई 2012

. . . मतलब हरिप्रसाद ही थे सेट!


. . . मतलब हरिप्रसाद ही थे सेट!

रिपोर्ट आने पर कार्यवाही करेंगे: हरिप्रसाद

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सीमा पर अवस्थित भगवान शिव के सिवनी जिले की सबसे पुरानी तहसील के मुख्यालय लखनादौन में गुरूवार को संपन्न हो रहे नगर पंचायत के चुनाव में अध्यक्ष पद पर कांग्रेस के वाकोवर की तह में अनेक परतें उजागर होती जा रही हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस को जमकर नुकसान पहुंचाने वाले पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष दिनेश राय को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए कांग्रेस द्वारा अध्यक्ष पद के लिए वाकोवर दे दिया गया है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि वे सारी स्थितियों से वाकिफ हैं और उनके पास रिपोर्ट आने पर वे मुकम्मल कार्यवाही अवश्य करेंगे।
गौरतलब है कि आदिवासी बाहुल्य और अजजा के लिए सुरक्षित लखनादौन विधानसभा के तहसील मुख्यालय में नगर पंचायत के चुनावों में नाम वापसी के अंतिम दिन कांग्रेस द्वारा अधिकृत प्रत्याशी द्वारा नाम वापस लेने के बाद माहौल गर्मा गया था। इसके उपरांत जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया से चर्चा की गई थी तब उन्होंने लखनादौन में कांग्रेस की ओर से निर्दलीय प्रत्याशी जो कांग्रेस का डमी बताया गया था को अपना समर्थन देने की बात कही गई थी।
जब कांति लाल भूरिया से यह पूछा गया था कि कांग्रेस की ओर से डमी प्रत्याशी कौन था? इस पर उन्होंने कहा कि सुधा राय को ही कांग्रेस की ओर डमी के बतौर खड़ा किया गया था और सुधा राय को ही समर्थन की घोषणा कर दी जाएगी। जब श्री भूरिया के संज्ञान में लाया गया कि सुधा राय के पुत्र दिनेश राय द्वारा नगर पंचायत लखनादौन के अध्यक्ष रहते हुए ही सिवनी विधानसभा में बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू की जमानत तक जप्त करवा दी थी। इसके बाद से मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया का मोबाईल कभी भी स्विच ऑन नहीं मिला और उनके निज सचिव श्री कक्कड़ उन्हें छोड़कर भोपाल में ही बैठे रहने की बात दुहराते रहे।
कहा जा रहा है कि सिवनी लोकसभा के विलोपन के दरम्यान दिनेश राय द्वारा घोषणा की गई थी कि अगर लोकसभा का विलोपन होता है तो वे कांग्रेस के महाकौशल के सबसे ताकतवर क्षत्रप हरवंश सिंह ठाकुर के खिलाफ केवलारी से चुनाव लडेंगे। बाद में उन्होंने केवलारी से लड़ने की बात को अस्वीकार करते हुए सिवनी से चुनाव लड़ा था। संभवतः उसी बात का उपकार चुकाने के लिए कांग्रेस द्वारा किसी को भी समर्थन ना देकर दिनेश राय की माता श्रीमति सुधा राय की जीत के मार्ग प्रशस्त कर दिए।
बहरहाल, 18 जून को ही जब नाम वापस ले लिया गया था, उसी दिन समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा कांग्रेस के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद जो कि बंग्लुरू में थे से इस बारे में चर्चा की थी, तब उन्होंने कहा था कि यह मामला उनके संज्ञान में है और गंभीर प्रकृति का है इस बारे में उन्होंने शीघ्र ही प्रतिवेदन तलब किया है। प्रतिवेदन आते ही वे इस पर कार्यवाही करेंगे।
गुरूवार 5 जुलाई को 18 दिन बीत जाने के उपरांत जब एक बार फिर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने एक बार फिर बी.के.हरिप्रसाद से बात करनी चाही तो उनका मोबाईल बंद मिला। बाद में बी.के.हरिप्रसाद ने लेण्ड लाईन से फोन कर साई न्यूज से चर्चा की, तो उन्होंने कहा कि सारा मामला उनके संज्ञान में आ चुका है, उन्हें बस इंतजार है तो पर्यवेक्षक के प्रतिवेदन का।
उधर, मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक जिम्मेदार पदाधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि इस मामले में कांति लाल भूरिया तो मोहरा भर हैं। दरअसल, इस मसले में सेट तो हैं बी.के.हरिप्रसाद। पता नहीं हरिप्रसाद का कौन सा स्वार्थ इस मामले में सध रहा है कि उन्होंने इस बारे में ढील डालकर रखी हुई है।
उक्त पदाधिकारी ने कहा कि अगर हरिप्रसाद चाहते तो उनके संज्ञान में 18 जून को बात आने के बाद आनन फानन रिपोर्ट तलब कर किसी को समर्थन देने की घोषणा करवा देते, पर इस मामले के तार बहुत गहरे जाते प्रतीत हो रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस सबके पीछे नेताओं को गलत सही बताकर भरमाना भी है!

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