शनिवार, 8 सितंबर 2012

संसद सत्र समाप्त नहीं उठा फोरलेन का मामला!

संसद सत्र समाप्त नहीं उठा फोरलेन का मामला!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। दिसंबर 2008 में कांग्रेस और भाजपा के षणयंत्र का शिकार हुई स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे की सिवनी से होकर गुजरने वाली फोरलेन को अब भी ठोर नहीं मिल सका है। केंद्र राज्य के बीच आरोप प्रत्यारोपों के बीच इस सड़क के धुर्रे पूरी तरह से उड़ चुके हैं, पर किसी को भी इसकी सुध लेने की फुर्सत नहीं मिल पाई है। सांसद, विधायक और संपन्न वर्ग के लोग तो सिवनी से नागपुर का सफर बरास्ता छिंदवाड़ा पूरा कर ले रहे हैं पर गरीब गुरबों की किसी को भी चिंता नहीं है।
ज्ञातव्य है कि मामला तत्कालीन जिला कलेक्टर सिवनी पिरकीपण्डला नरहरि के 18 दिसंबर 2008 को जारी किन्तु 19 दिसंबर को पृष्ठांकित आदेश के तहत अवरूद्ध हुआ है। यह मामला आईने की तरह ही साफ है। इसके बाद जिला कलेक्टर से मिले बिना ही सर्वोच्च न्यायालय तक की लंबी लड़ाई अनेक संगठनों द्वारा लड़ी गई। पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी मामले को वाईल्ड लाईफ बोर्ड के पाले में डाल दिया गया बताया जाता है।
सिवनी जिले के भाजपा के लोकप्रिय विधायक कमल मस्कोले, श्रीमति शशि ठाकुर, श्रीमति नीता पटेरिया के साथ ही साथ केंद्र में खासी दखल रखने वाले कांग्रेस के चार बार के विधायक हरवंश सिंह जो वर्तमान में विधानसभा उपाध्यक्ष भी हैं ने अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़कर इस मामले को विधानसभा के मंच पर उठाने की जहमत क्यों नहीं उठाई इसका जवाब वे ही बेहतर दे सकते हैं।
हद तो तब हो जाती है जब परिसीमन में बिना प्रस्ताव के विलोपित हुई सिवनी लोकसभा जो अब मण्डला और बालाघाट संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है में बालाघाट के भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख और कांग्रेस के मण्डला के सांसद बसोरी सिंह मसराम ने भी इस मामले में लोकसभा में आवाज उठाने की कवायद नहीं की। मजे की बात तो यह है कि यह उपेक्षित सड़क के.डी.देशमुख, बसोरी सिंह मसराम, हरवंश सिंह, श्रीमति नीता पटेरिया, श्रीमति शशि ठाकुर, कमल मस्कोले सभी के संसदीय और विधानसभा क्षेत्र की जीवन रेखा है।
इस साल बारिश के मौसम में भी अनेक ट्रक ट्राले सिवनी नागपुर मार्ग पर पलटते रहे रास्ता जाम होता रहा पर किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली। उम्मीद की जा रही थी कि इस मामले में आवाज उठाने वाले सिवनी और लखनादौन के कुछ स्वयं सेवी संगठन अपनी आवाज बुलंद कर जनता को राहत देंगे पर वस्तुतः एसा हो नहीं सका, मजबूरन गरीब गुरबों को मन मारकर इस खटारा सड़क से होकर गुजरना नियति बन गया है।

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