शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

वाम दल बनेंगे कांग्रेस की बैसाखी!


वाम दल बनेंगे कांग्रेस की बैसाखी!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। ममता बनर्जी के तीखे तेवरों के चलते संकट में आई कांग्रेस अगर आत्मविश्वास से लवरेज दिख रही है तो इसके पीछे वाम दलों के साथ कांग्रेस का अंदरूनी गठजोड़ ही प्रमुख कारक माना जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी के बीच समन्वय की खबरें अब सार्वजनिक हो चली हैं। यही कारण है कि कांग्रेस ने मुलायम सिंह यादव पर भी यकीन करना छोड़ दिया है।
अभी सरकार में शामिल कांग्रेस- 207, टीएमसी-19, डीएमके- 18, एनसीपी-9, नैशनल कॉन्फ्रेंस- 3, आरएलडी- 5, मुस्लिम लीग केरल स्टेट कमिटी-2, एआईएमआईएम-1, केरल कांग्रेस- 1, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट-1, वीसीके-1, एआईयूडीएफ-1 मिलाकर कुल 268 सांसदों का संख्या बल है। इसके अलवा बाहर से समर्थन वाले समाजवादी 22, बसपा 21, आरजेडी 4 इस तरह कुल संख्या 315 हो जाती है।
इसमें से तमिल मीनला कांग्रेस ने अगर अपने आप को सरकार से अलग किया तो फिर संप्रग के पास 296 ही सांसद बच जाते हैं। उधर डीएमके ने सरकार की कालर पकड़ना आरंभ कर दिया है। अगर डीएमके 18 सांसदों के साथ अलग हुई तो सरकार के पास 278 ही बचेंगें। उस वक्त संप्रग के टूटकर बिखरने के डर से कांग्रेस कुछ भी कर सकती है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस को पूरा यकीन है कि वाम दल भले ही प्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस का साथ ना दें पर वे वाक आउट कर जरूर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना देंगें। सरकार को अपनी अस्मत बचाने के लिए सदन में उपस्थित सदस्यों में ही बहुमत साबित करना होगा।
सूत्रों ने कहा कि अब जबकि त्रणमूल कांग्रेस ने अपना स्टेंड साफ कर दिया है अतः कांग्रेस और त्रणमूल के बीच रार आरंभ हो गई है। यह सब कुछ वाम दलों के लिए मुफीद ही लग रहा है। एक तरफ सरकार को बचाकर वाम दल उसे बैसाखी देंगें, तो वहीं दूसरी ओर इसकी कीमत के बतौर वाम दल पश्चिम बंगाल में अपने ढहे गढ़ को पुनः दुरूस्त करने के लिए सरकार की मदद ले लेंगें।
वहीं दूसरी ओर जनता दल यूनाईटेड के क्षत्रप और बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने अब राजग को टाटा बाय बाय कहने का मन बना लिया है। माना जा रहा है कि बिहार के लिए खासा पैकेज हासिल कर नितीश कुमार राजग को नमस्ते कह सकते हैं। इन परिस्थितियों में राजग के अहम घटक जदयू के सांसद भी विश्वास मत के दौरान सदन से गायब रह सकते हैं।

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