शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

मोबाईल शुल्क से 3000 करोड़ रूपए की उम्मीद

मोबाईल शुल्क से 3000 करोड़ रूपए की उम्मीद

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। दूरसंचार पर वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने छह दशमलव दो मेगा हर्ट्ज से अधिक स्पैक्ट्रम रखने वाले मोबाइल ऑपरेटरों पर एकमुश्त शुल्क लगाने का फैसला किया है। इस निर्णय से सरकारी खजाने को तीन हजार करोड़ रुपए की राशि से अधिक आमदनी होने की उम्मीद है।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि यह धनराशि अधिभार के रूप में मिलने वाली २७ हजार करोड़ रुपए से अलग होगी। मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने पिछले सप्ताह चार दशमलव चार मेगा हर्ट्ज से अधिक स्पैक्ट्रम वाले जी.एस.एम ऑपरेटरों और दो दशमलव पांच मेगाहर्ट्ज स्पैक्ट्रम वाले सी.डी.एम.ए. ऑपरेटरों पर यह अधिभार लगाने का निर्णय लिया था। अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह की इन संशोधित सिफारिशों को अगर मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जाती है तो इन कंपनियों को तीस हजार करोड़ रुपए देने होंगे।
दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह ने पर्याप्त समय न होने की वजह से स्पैक्ट्रम की प्रणाली नए सिरे से निर्धारित करने के मुद्दे पर फैसला टाल दिया है। सिब्बल ने बताया कि अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह की दो घंटे से ऊपर बैठक चली और उन सभी मुद्दों पर चर्चा हुई जिन पर फैसले किए जाने थे। लेकिन समय की कमी के कारण रिफार्मिंग के मुद्दे पर फैसला नहीं हो पाया। हम चाहते हैं कि नीलामी शुरू होने से पहले इस मुद्दे पर फैसला लिया जाए।
उधर, उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र से टाटा समूह की दो कंपनियों को आवंटित स्पैक्ट्रम को भी टू जी स्पैक्ट्रम की नए सिरे से नीलामी में शामिल करने संबंधी याचिका पर जवाब मांगा है। इस बारे में सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुये न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और के.एस. राधाकृष्णन की पीठ ने स्पष्ट किया कि न्यायालय का यह आदेश अगले महीने की १२ तारीख से २-जी स्पैक्ट्रम के १२२ निरस्त लाइसेंसों की नए सिरे से नीलामी में बाधा नहीं डालेगा।
न्यायालय ने दूरसंचार विभाग से भी  नीलामी किए जाने वाले स्पैक्ट्रम की बिक्री सीमित करने के उसके फैसले पर उठाये गये सवालों का जवाब मांगा है। सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने न्यायालय से सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि उच्चतम न्यायालय के दो फरवरी के फैसले के बाद खाली हुए सभी स्पैक्ट्रम बेचे जाएं। न्यायालय के आदेश से पूरे भारत में पांच सौ चौदह दशमलव आठ मेगा हर्ट्ज स्पैक्ट्रम खाली हुआ है, लेकिन सरकार ने इसकी बिक्री तीन सौ दो दशमलव पांच मेगा हर्ट्ज तक सीमित करने का निर्णय लिया है।

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