गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

निशुल्क दवाएं मुहैया कराएगी केंद्र सरकार


निशुल्क दवाएं मुहैया कराएगी केंद्र सरकार

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। सरकार देश भर में सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर आवश्यक दवाएं निःशुल्क मुहैया कराएगी। हॉलैंड के एमस्टरडम में दवाओं के जिम्मेदाराना इस्तेमाल के बारे में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार के इस कदम से लोगों का दवाओ पर खर्चा कम हो जाएगा और उनको बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी।
यहां जारी सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि सरकार के इस कदम से दवाइयों के उचित इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा और अनावश्यक, अवैज्ञानिक और खतरनाक दवाइयों की खपत में कमी आएगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत में इन दिनों एंटीबायोटिक दवाओं का असर कम हो रहा है और इससे निपटने के लिए मंत्रालय ने राष्ट्रीय नीति विकसित की है। इसके तहत एंटी बायोटिक दवाओं के विवेकपूर्ण इस्तेमाल को बढावा दिया जायेगा और कोशिश की जाएगी कि इनका असर बना रहे।
उधर, उच्चतम न्यायालय ने सरकार से आवश्यक दवाओं की मूल्य प्रणाली में बदलाव न करने को कहा है, क्योंकि ऐसा करने से इनकी कीमतों में और  बढ़ोतरी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि सरकार राष्ट्रीय अनिवार्य औषधि सूची (एनएलईडी) में आवश्यक दवाओं की संख्या बढ़ाने के दौरान मूल्य नियंत्रण व्यवस्था के तहत अनिवार्य दवाओं के खुदरा मूल्य तंत्र से छेड़छाड़ नहीं करेगी।
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि १३ जुलाई १९९९ की अधिसूचना के अनुसार सरकार को औषधियों की मूल्य प्रणाली में बदलाव नहीं करना चाहिए। खंडपीठ ने मामले की सुनवाई अगले मंगलवार को निर्धारित की है। न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर यह निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि सरकार चलाना उसका काम नहीं है, लेकिन उसने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि इसमें नौ वर्षाे तक कोई प्रगति क्यों नहीं हुई।
अतिरिक्त महाधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा के अनुरोध को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने नई मूल्य नियंत्रण व्यवस्था के तहत एनएलईडी को अधिसूचित करने के लिए सरकार को सात दिनों की मोहलत दी। न्यायालय ने कहा कि यदि एनएनईडी को जारी करने में और देरी हुई तो न्यायालय को उसके अनुसार आदेश पारित करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। न्यायालय ने यह भी कहा कि दवा की कीमतें इतनी अधिक हैं कि मरीज के सामने दो विकल्प रह जाते हैं- या तो वह मर जाए या फिर जमीन या जेवरात बेचकर दवा खरीदे।

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