बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

दस सांसद भी नहीं ला पाए सिवनी में ब्राडगेज


0 सिवनी से नहीं चल पाएगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 3

दस सांसद भी नहीं ला पाए सिवनी में ब्राडगेज

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। सिवनी का यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि दस संसद सदस्य देने वाले इस जिले का ब्राडगेज से जोड़ने का जतन किसी भी सांसद ने नहीं किया। सिवनी के नेताओं ने जिस चालाकी से परिसीमन में दिखावटी विरोध कर लोकसभा सीट का अवसान करवा दिया उससे अब बड़ी रेल लाईन आने की धूल धुसारित हुई संभावनाओं के कुचक्र का तानाबाना जारी ही माना जा रहा है।
गौरतलब है कि 1962 में सुरक्षित सिवनी लोकसभा सीट पर कांग्रेस के नारायण राव वाड़ीवा विजयी हुए थे। इसके उपरांत 1967 और 1971 में यह लोकसभा सीट अस्तित्व में नहीं थी। 1977 में दुबारा अस्तित्व में आई सिवनी लोकसभा सीट पर भारतीय लोकतंत्र के निर्मल चंद जैन तो 1980 में कांग्रेस के गार्गीशंकर मिश्र यहां से जीते थे। पंडित गार्गीशंकर मिश्र केंद्र में मंत्री भी रहे हैं। 1894 के चुनावों में एक बार फिर पंडित गार्गी शंकर मिश्र पर सिवनी की जनता ने भरोसा जताया था।
1989 के आम चुनावों में गार्गीशंकर मिश्र के बजाए जनता द्वारा युवा तुर्क और भाजपा के बागी प्रहलाद सिंह पटेल पर भरोसा करते हुए उन्हें लोकसभा की दहलीज तक पहुंचाया। प्रहलाद सिंह पटेल ने संस्कारधानी जबलपुर से छात्र राजनीति की शुरूआत की थी। इसके बाद 1991 में हुए आम चुनावों में जनता ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री सुश्री विमला वर्मा पर दांव खेला और फिर 1996 में हुए चुनावों में विमला वर्मा से लोगों का मोह भंग हुआ तो दुबारा प्रहलाद पटेल को जिता दिया गया।
1998 में एक बार फिर विमला वर्मा ने बाजी मारी किन्तु साल भर बाद हुए मध्यावधि चुनावों में 1999 में भाजपा के रामनरेश त्रिपाठी की लाटरी निकल गई। फिर आईं 2004 में श्रीमति नीता पटेरिया। श्रीमति पटेरिया सिवनी लोकसभा की अंतिम सांसद साबित हुईं। विडम्बना यह है कि दस लोकसभा सदस्यों ने भी सिवनी की किस्मत में ब्राडगेज नहीं लिखने का जतन किया।
इन सांसदों ने क्या प्रयास किए यह तो वे ही जाने पर यह सच है कि इनके प्रयास ईमानदारी से नहीं किए गए थे जिसके परिणामस्वरूप आज भी सिवनी वासी ब्राडगेज से वंचित हैं। वहीं सिवनी की सीमा से लगे महाराष्ट्र के नागपुर, एमपी के छिंदवाड़ा, बालाघाट, जबलपुर और नरसिंहपुर जिलों में ब्राडगेज पर रेलगाड़ी फर्राटे भर रही है।
वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो छिंदवाड़ा के सांसद कमल नाथ ने परासिया आमला ब्राडगेज को न केवल छिंदवाड़ा तक लाया गया वरन् पेंच नेशनल पार्क के करीब से जाने वाले नागपुर छिंदवाड़ा रेलखण्ड का अमान परिवर्तन भी करवा दिया। यही नहीं अपने प्रभाव वाले बालाघाट जिले के लिए भी कमल नाथ ने सौगातों की पोटली खोली। बालाघाट को भी ब्राडगेज से उन्होंने जोड़ ही दिया। पता नहीं क्यों सिवनी पर उन्होंने सदा ही कुदृष्टि रखी है? सिवनी में कमल चालीसा का पाठ करने वाले अनगिनत अनुयाईयों के बाद भी कमल नाथ का सिवनी के लिए प्रसन्न न होना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।

(क्रमशः जारी)

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