रविवार, 31 मार्च 2013

शिव का पत्ता काटा राजनाथ ने!


शिव का पत्ता काटा राजनाथ ने!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। अंततः भारतीय जनता पार्टी ने लंबी रस्साकशी के उपरांत अपने संसदीय बोर्ड की घोषणा कर ही दी है। नए संसदीय बोर्ड में मध्य प्रदेश को महत्व तो दिया गया है पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के केंद्र में जाने की योजना पर ब्रेक लगा दिया है। सियासी हल्कों में इस बात का कारण खोजा जा रहा है कि आखिर क्या वजह है कि पांव पांव वाले भईया को संसदीय बोर्ड में स्थान नहीं दिया गया है। कहा जा रहा है कि देशव्यापी स्तर पर शिवराज सिंह चौहान के कुशासन का मीडिया में आना ही उनके लिए परेशानी का सबब बना है।
भारतीय जनता पार्टी ने अपने संसदीय बोर्ड के नए सदस्यों के नामों की घोषणा की है। संसदीय बोर्ड निर्णय करने वाली यह पार्टी की सर्वाेच्च संस्था है। नरेन्द्र मोदी एकमात्र मुख्यमंत्री हैं जिन्हें इसमें शामिल किया गया है। पार्टी के नए महासचिव हैं-वरूण गांधी , अमित शाह और राजीव प्रताप रूडी। उपाध्यक्षों के पद पर उमा भारती, स्मृति ईरानी, मुख्तार अब्बास नकवी और प्रभात झा की नियुक्ति की गई है।
टीम राजनाथ में नरेंद्र मोदी का दबदबा साफ तौर पर दिखाई पड़ रहा है। वे इकलौते मुख्यमंत्री हैं जो इसमें शामिल हुए हैं।  वहीं दूसरी ओर राजनाथ सिंह ने अपने करीबी विधायक अमित शाह को राजनाथ की टीम में महासचिव बनवाकर भी मोदी ने पार्टी में अपने बढ़ते हुए कद का अहसास कराया है। अमित शाह का राजनीतिक सफर विवादों में रहा है। वह सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी हैं और तीन महीने तक जेल में बिता चुके हैं।
भाजपा के नेशनल हेडक्वार्टर 11 अशोक रोड के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि टीम की घोषणा से पहले रविवार सुबह राजनाथ सिंह ने पार्टी के शीर्षस्थ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने आडवाणी से नई टीम पर चर्चा करने के साथ-साथ उनकी सहमति ली।
सूत्रों के अनुसार पार्टी सर्वाेच्च नीति निर्धारक संस्था संसदीय बोर्ड में 12 सदस्यों को शामिल किया गया है। 10 महासचिवों में से 6 महासचिव नितिन गडकरी की टीम के ही हैं। कहा जा रहा है कि उमा भारती को धर्मेंद्र प्रधान के महासचिव बनाए रखने उपाध्यक्ष बनाया गया है।
टीम राजनाथ में संसदीय बोर्ड में राजनाथ सिंह, अटल बिहार वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, रामलाल, अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत और नरेंद्र मोदी को शामिल किया गया है। इसके अलावा महासचिवों में रामलाल (संगठन), अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत, जेपी नड्डा, तापिर गाव, धर्मेंद्र प्रधान, अमित शाह, राजीव प्रताप रूडी, वरुण गांधी और मुरलीधर राव को स्थान दिया गया है।
पार्टी में बतौर उपाध्यक्ष सदानंद गौड़ा, मुख्तार अब्बास नकवी, डॉ. सीपी ठाकुर, जुएल उरांव, एस. एस. अहलूवालिया, बलबीर पुंज, सतपाल मलिक, प्रभात झा, उमा भारती, बिजॉय चक्रवर्ती, लक्ष्मीकांत चावला, किरण माहेश्वरी, स्मृति ईरानी, सचिव के तौर पर श्याम जाजू, भूपेंद्र यादव, कृष्णा दास, अनिल जैन, विनोद पांडेय, त्रिवेंद्र रावत, रामेश्वर चौरसिया, आरती मेहरा, रेणु कुशवाहा, सुधा यादव, सुधा मलैया, पूनम महाजन, लुईस मरांडी, डॉ तमिल एसाई, वाणी त्रिपाठी को शामिल किया गया है।
पार्टी प्रवक्ता की कमान प्रकाश जावड़ेकर, निर्मला सीतारमण, विजय शंकर शास्त्री, सुधांशु त्रिवेदी, मिनाक्षी लेखी, कैप्टन अभिमन्यु संभालेंगे तो मोर्चाओं के अध्यक्ष के बतौर महिला मोर्चारू सरोज पांडेय, युवा मोर्चा अनुराग ठाकुर, एससी मोर्चा संजय पासवान, एसटी मोर्चा फग्गन सिंह कुलस्ते, अल्पसंख्यक मोर्चा अब्दिल राशिद, किसान मोर्चा ओम प्रकाश धनाकर को बनाया गया है। केंद्रीय चुनाव समिति को भी अंतिम रूप दिया गया है जिसमें राजनाथ सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, नरेंद्र मोदी, अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत, रामलाल, गोपीनाथ मुंडे, जुएल उरांव, शाहनवाज हुसैन, विनय कटियार, जेपी नड्डा, डॉ. हर्षवर्धन, सरोज पांडेय शामिल हैं।
टीम राजनाथ की घोषणा के साथ ही बगावत की भी सुगबुगाहट आने लगी है। राहुल गांधी के चचेरे भाई वरूण गांधी को महासचिव बनाने से विनय कटियार खफा हैं। विवादित चेहरे अमित शाह को भी महासचिव बनाने से पार्टी के अंदर असंतोष पनपता दिख रहा है। पार्टी के आला दर्जे के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इससे कांग्रेस को भाजपा पर हमले करने में आसानी होगी।
सभी को उम्मीद थी कि आग और पानी का संतुलन बनाने के लिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व नरेंद्र मोदी के सामने शिवराज सिंह चौहान को शामिल करेगा वस्तुतः एसा हुआ नहीं। शिवराज सिंह चौहान के घुर विरोधी समझे जानी वाली उमा भारती और प्रभात झा को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया है जिससे लग रहा है मानो शिवराज सिंह चौहान को साईज में लाने का काम किया जाने वाला है।
उधर राजनाथ सिंह के करीबी सूत्रों ने साई न्यूज से चर्चा के दौरान कहा कि दरअसल, शिवराज सिंह चौहान का खुद का मीडिया मैनेजमेंट विफल रहा है। सोशल मीडिया के साथ ही साथ अनेक वेब साईट्स और छोटे मझौले समाचार पत्रों में शिवराज सिंह चौहान के अकुशल प्रबंधन, प्रशासन पर उनकी ढीली पकड़ की खबरों की कतरने प्रमुखता के साथ पार्टी अध्यक्ष के सामने रखी गईं थीं जिससे पार्टी अध्यक्ष एमपी में शिवराज की नहीं भाजपा की छवि प्रभावित होना मान रहे हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि इस संबंध में शीर्ष स्तर पर तीन नेताओं के बीच चर्चा हुई तब शिवराज का पक्ष एमपी के एक नेता ने रखा। इस पर राजनाथ सिंह का सीधा सा जवाब था कि जो अपने राज्य में ही शासन प्रशासन और मीडिया मैनेजमेंट में असफल हो वह केंद्र में आकर क्या खाक कर लेगा।

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