मोगली की ख्याति
विदेशों में!
(शरद खरे)
भारत गणराज्य के
लोगों की स्मृति से अभी विस्मृत नहीं हुआ होगा कि नब्बे के दशक में (दूरदर्शन पर)
धूम मचाने वाला हर रविवार को सुबह सवेरे ‘‘जंगल जंगल पता चला है, चड्डी पहन के फूल
खिला है . . .‘‘ वाले टाईटल
सांग का सीरियल ‘‘द जंगल बुक‘‘ का हीरो भेड़िया
बालक मोगली देश भर के हर वर्ग, हर आयु के लोगों की पहली पसंद बन गया था।
यही मोगली अब भारत से निकलकर हॉलीवुड में जाकर धूम मचा रहा है। गौरतलब है कि
ब्रितानी शासनकाल में भारत के हृदय प्रदेश के सिवनी जिले के जंगलों में एक बालक जो
जंगली जानवरों विशेषकर भेड़ियों के बीच पला था, के अस्तित्व में
होने की किवदंती आज भी फिज़ाओं में हैं। माना जाता है कि एक बालक जो जंगलों की
वादियों में पला बढ़ा था, वह भेडियों की सोहबत में रहने के कारण अपनी आदतें भेडियों की
तरह ही कर बैठा था,
ने लंबा समय जंगलों में बिताया था।
ब्रितानी शासन में
इंग्लैंड के मशहूर लेखक और कवि रूडयार्ड किपलिंग ने मोगली के जीवन को कागज पर
उतारा था। किपलिंग का जन्म भारत गणराज्य की आर्थिक राजधानी मुंबई में उस वक्त हुआ
था जब देश पर ब्रितानी शासक हुकूमत किया करते थे। किपलिंग के माता पिता मुंबई में
ही रहा करते थे। कवि रूडयार्ड किपलिंग ने महज 13 साल की आयु से ही
कविताएं लिखना आरंभ कर दिया था। कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते
हैं, उसी तर्ज
पर किपलिंग की कविताएं तब काफी लोकप्रिय हो गईं थीं। कहा जाता है कि किपलिंग को एक
बार भारत की सुरम्य वादियों के बीच देश के जंगलों की अनमोल वादियों में सैर का
मौका मिला।
उसी दौरान एक
फारेस्ट रेंजर गिसबॉर्न ने रूडयार्ड किपलिंग को एक बालक के शिकार करने की क्षमताओं
के बारे में सविस्तार बताया। जंगली जानवारों के बीच लालन पालन होने के कारण उस
बालक में यह गुण विकसित हुआ था। यहीं से किपलिंग को जंगली खूंखार जानवरों के बीच
रहने वाले उस अद्भुत बालक के बारे में लिखने की प्रेरणा मिली। किपलिंग ने जंगल बुक
नामक किताब में इस अनोखे बालक के जीवन को बड़े ही करीने से उकेरा है। बाद में यही
बालक सबका प्यारा दुलारा ‘मोगली‘ बन गया।
किपलिंग की इस
किताब में मोगली के सहयोगी मित्रों और बुजुर्गों के तौर पर चमेली, भालू, का यानी सांप, अकडू पकडू, खूंखार शेरखान आदि
को भी बखूबी स्थान दिया गया है। विडम्बना यह है कि भारत के जंगलों में पाए जाने
वाले इस मोगली के बारे में उसकी खासियतें पहचानी तो एक ब्रितानी लेखक ने। इतना ही
नहीं ब्रितानी लेखक के इस नायाब अनुभवों या काल्पनिक काम को सूत्र में पिरोकर
फिल्माने का काम किया जापान ने। जापान में सिवनी के इस बालक के कारनामोें के बारे
में 1989 में एक 52 एपीसोड वाला
सीरियल तैयार किया गया था। ‘‘द जंगल बुक शिओन मोगली‘‘ नाम से बनाए गए इस
एनीमेटिड टीवी सीरियल को जब प्रसारित किया गया तो जापान का हर आदमी मोगली का
दीवाना बन गया था।
जब भारत को यह पता
चला कि उसके देश की इस नायाब कला को जापान में सराहा जा रहा है, तो भारत में इसके
प्रसारण का मन बनाया गया। एक साल बाद 1990 में इसी जापानी सीरियल द जंगल बुक ऑफ शिओन
मोगली को हिन्दी में डब करवाया गया और फिर इस कार्टून सीरियल ‘द जंगल बुक‘ को दूरदर्शन पर
प्रसारित किया गया। जैसे ही रविवार को इसका प्रसारण आरंभ किया गया, वैसे ही इस सीरियल
की लोकप्रियता ने सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। इस मोगली सीरियल का टाइटल सांग ‘जंगल जंगल बात चली
है, पता चला है, चड्डी पहन कर फूल
खिला है . . .‘ को लिखा था
मशहूर गीतकार गुलज़ार ने और इसे संगीत दिया था विशाल भारद्वाज ने। आज लगभग बीस साल
के उपरांत यह मोगली एक बार फिर अपनी लोकप्रियता के सारे पैमाने ध्वस्त करने की
तैयारी में है। यह कार्टून सीरियल एक बार फिर निर्माण हेतु तैयार है। और इसके
उपरांत यह दुनिया भर में धूम मचाएगा। मोगली पर फिल्म निर्माण की जवाबदारी अब
विज्जुअल इफेक्ट कंपनी डीक्यू एंटरटेनमेंट ने अपने कांधों पर ली है जो इस पर अंतर्राष्ट्रीय
स्तर की फिल्म बनाने जा रही है। द जंगल बुक के नाम से आने वाले समय में थ्री
डायमेंशनल फिल्म बनाई जाने वाली है, जो दुनिया भर में रिलीज की जाएगी।
लगभग एक सौ बीस
करोड़ रूपए लागत से बनने वाली इस फिल्म का प्रोडक्शन आरंभ हो चुका है। भारत के
हैदराबाद की एनीमेशन, गेमिंग और इंटरटेनमेंट कंपनी डीक्यू एंटरटेनमंेट द्वारा बनने
वाली यह थ्री डी फिल्म 2014 में रिलीज को तैयार हो जाएगी, एैसा माना जा रहा
है। मूलतः रूडयार्ड किपलिंग की किताब द जंगल बुक पर आधारित यह चलचित्र ‘इन द रूख‘, ‘टाईगर‘, ‘लेटिंग इन द जंगल‘ आदि कहानियों का
निचोड़ होगा जिसमें मोगली के अपने माता पिता से बिछुड़ने, जंगल में खूंखार
जानवरों के बीच पलने बढ़ने, उसके साहसिक कारनामों और फिर मानव जाति और सभ्यता में वापसी
पर आधारित होगी। विडम्बना ही कही जाएगी कि भारतीय सड़क और रेल के मानचित्र पर सिवनी
जिले का नाम नहीं है। कम से कम मोगली के हालीवुड जाने के साथ ही साथ सिवनी जिले को
राष्ट्रीय नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान अवश्य ही मिलने की उम्मीद है। इसका
लाभ अगर सिवनी के नेता उठा सकें तो सिवनी को गुलजार होने से कोई नहीं रोक सकता है।
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