मंगलवार, 31 मई 2011

नक्सल काडर का प्रशिक्षण स्थल बना बालाघाट!


नक्सलियों की चहलकदमी ने उड़ाई केंद्र की नींद

छत्तीसगढ़ में बनाई अपनी 11वीं कंपनी

मध्य प्रदेश में सात दर्जन से अधिक नक्सलियों के घुसने की आशंका

नक्सल काडर का प्रशिक्षण स्थल बना बालाघाट!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में नक्सली पदचाप ने एक बार फिर केंद्र सरकार की नींद में खलल डाल दिया है। खुफिया तंत्र को मिली सूचना के मुताबिक नक्सलियों ने छग मंे अपनी ग्यारहवीं कंपनी तैयार कर ली है। पुलिस महानिरीक्षक की तैनाती के बावजूद भी नक्सली अपने कैडर के प्रशिक्षण के लिए मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट को मुफीद समझ रहे हैं।

खुफिया तंत्र के सूत्रों का कहना है कि नक्सलवादी अपनी सोची समझी रणनीति के तहत अब बियावान जंगलों से निकलकर शहरों में अपना नेटवर्क मजबूत करने की कवायद में जुट गए हैं। छत्तीसगढ़ में हाल ही में चार वारदातों को अंजाम देकर नक्सलियों ने अपने इरादे जग जाहिर कर दिए हैं।

सूत्रों के मुताबिक छत्त्ीसगढ़ के राजनांदगांव और महाराष्ट्र सीमा के गढ़ चिरोली जिलों में एक के बाद एक धमाकों में दोनों ही राज्यों में सक्रिय नक्सलवादियों का आपस में सामंजस्य स्थापित होने की खबरें हैं। वहीं दूसरी ओर नक्सल प्रभावित जिलों में स्थानीय पुलिस बल और अर्ध सैनिक बलों के बीच तालमेल का अभाव भौगोलिक परिस्थितियों का न समझ पाना भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। इसी बीच नक्सलियों की 11वीं कंपनी की स्थापना की खबर ने खुफिया तंत्र की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलका दी हैं। सूत्रों का कहना है कि यद्यपि इसमें नक्सलियों की तादाद काफी कम है फिर भी नक्सलियों की सक्रियता के चलते इसमें भारी मात्रा में स्थानीय युवा सदस्यों के जुड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से 80 से अधिक नक्सलियों की लांजी और बैहर में आमद के संकेत मिले हैं। गौरतलब है कि बालाघाट में टांडा और मलाजखण्ड दलम पहले से ही अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो नक्सलवादियों ने बालाघाट में अपना ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया है, जिसमें प्रशिक्षण लेने बड़ी तादाद में नए जुड़े नक्सली आ रहे हैं।

गौरतलब होगा कि संयुक्त मध्य प्रदेश (छत्तीसगढ़ के प्रथक होने से पूर्व) में बालाघाट और मण्डला में नक्सली गतिविधियों के मद्देनजर पुलिस महानिरीक्षक का पद सृजित किया गया था, जिसका मुख्यालय बालाघाट से लगभग ढाई सौ तो मण्डला से लगभग सवा सौ किलोमीटर दूर जबलपुर में रखा गया था, बाद में इसे बालाघाट स्थानांतरित कर दिया गया है। आईजी नक्सल जोन की तैनाती के बावजूद भी बालाघाट में नक्सली प्रशिक्षण केम्प के संचालन की खबरें आश्चर्यजनक ही कही जाएंगी। इसके पहले मध्य प्रदेश के तत्कालीन परिवहन मंत्री लिखी राम कांवरे की नक्सलियों ने उनके निवास पर ही नृशंस तरीके से गला रेतकर हत्या कर दी थी।

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