शनिवार, 14 मई 2011

मध्य प्रदेश में एक भी बैठक नहीं हुई पांच सालों में


एमपी में मनरेगा की सुस्त चाल से केंद्र खफा

नहीं हो रही विजलेंस मानीटरिंग कमेटी की बैठकें

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। केंद्र सरकार और संप्रग अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की महात्वाकांक्षी योजना जो अब कानून में तब्दील हो चुका है की सुस्त चाल से केंद्र ने मध्य प्रदेश पर नजरें तिरछी कर ली हैं। महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) में राज्यों में हो रही गफलत से वैसे भी प्रधानमंत्री काफी आहत नजर आ रहे हैं। मनरेगा में राज्य और जिला स्तरों पर विजलेंस समितियों की बैठक नही ंहोने का असर इस पर पड़ रहा है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मनरेगा की सुस्त चाल मध्य प्रदेश सहित उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, झारखण्ड, पंजाब आदि सूबों में चल रही है। मनरेगा के कार्यों के लिए राज्य और जिला स्तर पर विजलेंस मानीटरिंग समितियां बनाई गई हैं। राजनैतिक दबाव में जिलाधिकारियों द्वारा इसकी बैठकें नहीं बुलाई जा रही हैं, जिससे इसके प्रदर्शन पर असर पड़ रहा है।
सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय इस बात से खफा है कि मध्य प्रदेश सहित उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, झारखण्ड, पंजाब आदि सूबों में विजलेंस कमेटी की एक भी बैठक नहीं बुलवाई गई है। जबकि मनरेगा के निमयों के अनुसार कमेटी मंे स्थानीय विधायक और सांसदों को शामिल किया जाकर इसकी बैठक राज्य सतर पर एक साल में कम से कम दो और जिला स्तर पर साल में कम से कम चार बार आहूत करना आवश्यक है। देश भर में राज्य स्तर पर कम से कम 330 बैठकें आहूत होनी थी किन्तु कानून की शक्ल अख्तियार करने के बाद भी इसकी महज 56 बैठकें ही हो सकीं हैं।

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