शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

शिवराज तो ‘पीएम मेटेरियल‘ हैं!

शिवराज तो ‘पीएम मेटेरियल‘ हैं!

सियासी गलियारों में अफसरान बता रहे शिवराज को पीएम इन वेटिंग

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के दो शीर्ष नेता एल.के.आड़वाणी और शिवराज सिंह चौहान में क्या कुछ समानता है? जी हां, एक राजग के घोषित पीएम इन वेटिंग हैं तो दूसरे अघोषित पीएम इन वेटिंग। दिल्ली के सियासी गलियारों में इन दिनों कुछ इसी तरह की बयार बह रही है कि मध्य प्रदेश के दिल्ली में पदस्थ आला अफसरान शिवराज सिंह चौहान को पीएम मैटेरियल बताने से नहीं चूक रहे हैं।

गौरतलब है कि लगगभग नौ साल पूर्व मध्य प्रदेश की एक महिला अधिकारी द्वारा राजा दिग्विजय सिंह को दिल्ली के सियासी गलियारों में पीएम मेटेरियल बताया जा रहा था। उस वक्त राजा दिग्विजय सिंह पीएम तो नहीं बन पाए अलबत्ता उन्हें सक्रिय राजनीति से दस साल का सन्यास अवश्य ही लेना पड़ा था।

उधर भाजपा के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो बाहर से लाकर थोपे गए एक नेता के द्वारा शिवराज सिंह के मुलाजिमों के माध्यम से ही इस तरह का कैंपेन चलवाया जा रहा है ताकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजपा के आला नेताओं के रडार पर लाया जा सके। वैसे भी उमा भारती की भाजपा में वापसी के बाद शिवराज सिंह चौहान के तेवर कुछ ढीले पड़ते दिख रहे हैं।

कहा जा रहा है कि इसके पहले शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते ही मध्य प्रदेश के एक ताकतवर भाजपा नेता ने दिल्ली में अपनी पसंद के अधिकारियों की तैनाती करवाकर फील्डिंग मजबूत करवा दी थी। यह अलहदा बात है कि वे अंत में मुख्यमंत्री बनने में सफल नहीं हो सके। वर्तमान हालातों को देखकर दबी जुबान से यह चर्चा चल पड़ी है कि अब एक और ताकतवर नेता ने शिवराज को पार्श्व में ढकेलकर खुद मुख्यमंत्री बनने की जुगत आरंभ कर दी है।

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