शनिवार, 24 सितंबर 2011

सैम थामेंगे रेल की नब्ज!


सैम थामेंगे रेल की नब्ज!

कमेटी पर कमेटी बनाती जा रही है भारतीय रेल

राजनेताओं की प्रयोगशाला में तब्दील हुआ रेल महकमा

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। राजनेताओं की प्रयोगशाला बन चुकी भारतीय रेल की बिगड़ी सेहत सुधारने का जिम्मा अब संचार क्रांति के जनक सेम पित्रोदा को सौंपा गया है। इक्कीसवीं सदी में पहले स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव फिर ममता बनर्जी ने इसे प्रयोगशाला बनाया अब लैब के बतौर रेल के वर्तमान निजाम दिनेश त्रिवेदी ने रेल पर प्रयोग आरंभ कर दिए हैं।

रेल विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सैम पित्रोदा को अब सात सदस्यीय विशेषज्ञ समूह की कमान सौंपी गई है। इस कमेटी में भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष एम.एस.वर्मा, इंडस्ट्रियल डेव्हलपमेंट फाइनेंशियल कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक राजीव लाल, एचडीएफसी के अध्यक्ष दीपक पारेख, भारतीय प्रबंध संस्थान के एक व्याख्याता जी.रघुराम, फीडबैक इंफ्रास्टक्चर सर्विस के विनायक चटर्जी एवं रेल्वे बोर्ड के रंजन जैन को सदस्य बनाया गया है।

लालू प्रसाद यादव और ममता बनर्जी के मनमाने रवैए से पटरी पर से उतरी भारतीय रेल को फिर से करीने से ढालने की जुगत में अब तक आठ कमेटियों का गठन किया जा चुका है। आरोपित है कि रेल की सुरक्षा संरक्षा के मार्ग प्रशस्त करने, रेल की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने, आय बढ़ाने, माल ढुलाई बढ़ाने, संसाधन जुटाने आदि के लिए बनाई गई समितियों में अपनों को रेवड़ी बांट दी गई है। इन समितियों ने आज तक क्या अनुशंसाएं दी हैं इस मामले में भारतीय रेल प्रशासन पूरी तरह मौन साधे हुए है।

वर्तमान में गठित इस विशेषज्ञ समिति के जिम्मे मुख्यतः यह काम सौंपा गया है कि तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और आधुनिकिकरण के युग में भारतीय रेल को कैसे ढाला जाए, पीपीपी के अनुसार परियोजनाओं के लिए कहां से राशि लाई जाए, बिगड़ी अर्थव्यवस्था को कैसे सुधारा जाए? यह समिति तीन माह में अपना प्रतिवेदन रेल्वे बोर्ड को सौंप देगी। इस मामले में अंतिम प्रतिवेदन अगले साल 31 मार्च तक रखने की मियाद तय की गई है।

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