सोमवार, 10 अक्तूबर 2011

मीडिया के चहेते बने रमेश


मीडिया के चहेते बने रमेश

अपने विभाग के साथ पत्रकारों की टोली को भी किया स्थानांतरित

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में सधे कदमों से तरक्की की इबारत लिखने वाले ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश मीडिया के एक वर्ग विशेष में काफी लोकप्रिय हो चुके हैं। मीडिया उन्हें हाथों हाथ लिए हुए है। वन एवं पर्यावरण मंत्री रहते हुए उनके डंडे का बोलबाला रहा है मीडिया में। पर्यावरण की दुहाई देकर वे मीडिया में छाए रहे।

जैसे ही उनको वन एवं पर्यावरण से हटाकर ग्रामीण विकास मंत्रालय में भेजा गया उन्होंने अपने चहेते पत्रकारों की बीट ही बदलवा दी। जो मीडिया पर्सन्स उन्हें वन मंत्री के तौर पर घेरे रहते थे उनके ठहाके आज ग्रामीण विकास मंत्रालय में गुंजायमान हो रहे हैं। वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन की परेशानी यह है कि उन्हें कव्हरेज के लिए पत्रकारों का टोटा पड़ रहा है। जयंती इस जुगत में हैं कि किसी तरह वे भी पत्रकारों की कृपा पा सकें।

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में इन दिनों एक बात गूंज रही है कि जब कोई संपादक अपने संस्थान में परिवर्तन कर नई जगह जाता है तो वह अपने प्रति निष्ठा रखने वाले पत्रकारों को साथ ले जाता है। यहां न तो जयराम रमेश संपादक हैं और न ही उन्होंने मीडिया का संस्थान ही बदला है। फिर आखिर कौन सी वजह है कि उनके इर्द गिर्द घूमने वाले पत्रकार अब वन मंत्रालय के बजाए ग्रामीण विकास मंत्रालय की सीढ़ियां चढ़ उतर रहे हैं?

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