सोमवार, 10 अक्तूबर 2011

बजट सत्र तक शायद ही चल पाएं मनमोहन


बजट सत्र तक शायद ही चल पाएं मनमोहन

राहुल को पीएम बनाने का दबाव बढ़ा

राहुल पीएम बनाने के मुद्दे पर बटी कांग्रेस

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली के सियासी गलियारों में इन दिनों लाख टके का सवाल पूछा जा रहा है कि क्या डॉ.मनमोहन सिंह बतौर प्रधानमंत्री बजट सत्र में संसद जा पाएंगे? कांग्रेस के अंदर ही अंदर मनमोहन की बिदाई के लिए मार्ग प्रशस्त किए जा रहे हैं। कांग्रेसियों का मानना है कि अगर मनमोहन के नेतृत्व में आम चुनावों में जनता के बीच जाया जाएगा तो घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार के जिन्न कांग्रेस को ले डूबेंगे।

कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि राहुल गांधी को तत्काल ही प्रधानमंत्री पद संभालकर भ्रष्ट मंत्रियों को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए, वरना अगर देर हो गई तो फिर देश में कांग्रेस का नामलेवा भी नहीं बचेगा। राहुल गांधी की पैरवी करने वाले कांग्रेसी नेता अब उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे सूबों में कांग्रेस की स्थिति का हवाला दे रहे हैं जहां कांग्रेस बुरी तरह उखड़ चुकी है।

वहीं दूसरी ओर कुछ रणनीतिकारों का मानना है कि अगर राहुल गांधी अभी वजीरे आजम बनते हैं और आने वाले समय में भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पाता है तो फिर वे फेल्युअर पीएम साबित होंगे। इतना ही नहीं अगर 2014 में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिलता है तो नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी परिवार नहीं) की विश्वसनीयता को रसातल में जाने से कोई नहीं रोक सकता है। गांधी परिवार के नेतृत्व संभालने के उपरांत अगर पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा तो पार्टी के विघटन के मार्ग प्रशस्त हो सकते हैं।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह की छवि एक ईमानदार व्यक्ति की है। उनके प्रधानमंत्री रहते हुए जिस तरह से मंत्रियों ने देश को लूटा है उसे देखकर अब उन्हें ईमानदार व्यक्ति के बजाए भ्रष्टाचार का ईमानदार संरक्षकसमझा जाने लगा है। वैसे भी मनमोहन सिंह मीडिया के सामने अपने आप को मजबूर और कमजोर साबित कर चुके हैं। इतना ही नहीं उनके मंत्री भी आपस में जिस तरह लड़ भिड़ रहे हैं उससे उनकी और कांग्रेस की छवि प्रभावित हुए बिना नहीं है।

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