मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

अब खरबूजे पर खतरे के बादल


अब खरबूजे पर खतरे के बादल

अमेरिका में खरबूजे से 13 मरे

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। दुनिया का चौधरी जो न करे सो कम है। पश्चिमी देशों ने भारत गणराज्य को प्रयोगशाला ही बना रखा है। कभी स्वाईन फलू तो कभी बर्ड फलू के नाम पर अरबों रूपयों की दवाएं खरीदने पर मजबूर कर देते हैं पश्चिमी देश हिन्दुस्तान को। दिल के दर्द की सस्ती दवा डिस्प्रिन को बाजार से बाहर करवा दिया था पश्चिमी देशों ने क्योंकि यह सस्ता इलाज और कारगर था।

नई बीमारियों के बारे में बताकर दुनिया को डराने में अमेरिका का कोई सानी नहीं है। हाल ही में खरबूजे में पाए जाने वाले जीवाणु लिस्टेरिया से खतरा बता रहा है अमरिका। अमरिका का दावा है कि इस जीवाणू से उपजी बीमारी से अब तक तेरह लोग काल कलवित हो चुके हैं वहीं सात दर्जन से ज्यादा इसकी चपेट में हैं।

अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन के अनुसार कोलोराडो में एक फार्म में उगे खरबूजे में यह जीवाणु पाया गया है। प्रशासन ने खरबूजे का उपयोग न करने की अपील की है। वहीं दूसरी ओर अमेरिकी रोग नियंत्रण और बचाव केंद्र की वेब साईट बयां कर रही है कि गर्भवती महिलाओं को इससे ज्यादा खतरा है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि मेक्सिको में चार, कोलोराडो और टेक्सास में दो दो तथा कंसास, मैरीलेण्ड, नेब्रस्का, ओकलहोमा और मिसॉरी में एक एक व्यक्ति की मौत हुई है। गौरतलब है कि हिन्दुस्तान में लोग खरबूजे का सेवन बड़े ही चाव के साथ करते हैं। इस तरह की बातों के बाद भारत में खरबूजे की खेती पर संकट के बादल मंडराना लाजिमी है।

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