मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

रेल संघर्ष समिति ने संभाला मोर्चा


0 सिवनी से चलेगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 10

रामटेक गोटेगांव नई रेल लाईन के लिए रेल संघर्ष समिति ने संभाला था मोर्चा

अगस्त तक 25 हजार हस्ताक्षर का रखा था 2005 में लक्ष्य

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। रामटेक से गोटेगांव के बीच नई रेल लाईन के लिए मध्य प्रदेश सरकार के कद्दावर कांग्रेसी नेता हरवंश सिंह ठाकुर के संरक्षण और पूर्व विधायक श्रीमति नेहा सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय रेल संघर्ष समिति का गठन किया जाकर इस मुहिम को तेज कर दिया गया था। इस रेल संघर्ष समिति में कांग्रेस भाजपा के अलावा सभी दलों के प्रतिनिधियों को स्थान दिया गया था।

रेल संघर्ष समिति की अध्यक्ष श्रीमति नेहा सिंह ने छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मण्डला और नरसिंहपुर जिलों के विकास की दृष्टि से रामटेक गोटेगांव नए रेल खण्ड की महत्ता प्रतिपादित करते हुए तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखा। रेल संघर्ष समिति द्वारा इस आशय के पत्र तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह, वाणिज्य और उद्योग मंत्री कमल नाथ, कृषि उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री कांतिलाल भूरिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरूण यादव सहित अनेक मंत्रियों को लिखे थे।

इन पत्रों पर किसी और नेता ने नहीं वरन् सिर्फ और सिर्फ कांतिलाल भूरिया ने ही संज्ञान लिया। मध्य प्रदेश कोटे से अन्य मंत्रियों ने संघर्ष समिति की इस मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया। यहां यह उल्लेखनीय होगा कि सिवनी में मध्य प्रदेश के तत्कालीन क्षत्रपों स्व.कुंवर अर्जुन सिंह, कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरूण यादव, सुरेश पचौरी आदि का झंडा उठाने और नभ को चीरने वाली जय जयकार करने वालों की न तब कमी थी और ना ही अब है। विडम्बना ही कही जाएगी कि छिंदवाड़ा से नैनपुर के महज 139 किलोमीटर लंबे रेल खण्ड के लिए कोई भी अपने आका को सिद्ध नहीं कर सका।

बहरहाल कांतिलाल भूरिया ने 29 अप्रेल 2005 को तत्कालीन केंद्रीय रेल राज्य मंत्री नाराण भाई राठवा को पत्र लिखकर नेहा सिंह के पत्र पर स्वीकृति देने का अनुरोध किया था। इसके जवाब में नारण भाई जे.राठवा ने अपने 17 मई 2005 के पत्र में कांतिलाल भूरिया को उत्तर दिया कि वे इस मामले की जांच करवा रहे हैं। इसके उपरांत 26 सितम्बर 2006 के पत्र में तत्कालीन रेल राज्यमंत्री श्री राठवा ने दुबारा कांतिलाल भूरिया को सूचित किया कि मध्य प्रदेश के गोटेगांव से महाराष्ट्र के रामटेक तक के बरास्ता धूमा, सिवनी, खवासा के नए रेल खण्ड का सर्वेक्षण वित्तीय वर्ष 2001 - 2002 में संपन्न कराया गया था।

इस सर्वे में 275.5 किलोमीटर लंबे रेल खण्ड के निर्माण की लागत वित्तीय वर्ष 2000 - 2001 के अनुसार 528.22 करोड़ रूपए आंकी गई थी जिसके प्रतिफल की दर 11.15 ऋणात्मक आने की बात कही गई थी। श्री राठवा ने साफ कहा था कि इस नए रेल खण्ड के अलाभप्रद स्वरूप, संसाधनों की कमी आदि के कारण इस प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा सका।

श्री राठवा ने आगे कहा था कि वित्तीय वर्ष 2004 - 2005 में कराए गए सर्वे के अनुसार उस वक्त इसकी लागत बढ़कर 775.29 करोड़ रूपए हो गई थी। प्रतिफल की दृष्टि से इस समय यह 11 से घटकर 3 फीसदी ऋणात्मक पर आ गया था। इस दौरान भी रामटेक गोटेगांव के नए रेल खण्ड का काम आरंभ कराना व्यवहारिक नहीं पाया गया था। इन पत्रों की प्रति कांतिलाल भूरिया ने रेल संघर्ष समिति की अध्यक्ष श्रीमति नेहा सिंह को उसी वक्त सूचना देने के लिए भेजी थीं।
इस रेल संघर्ष समिति के संरक्षण हरवंश सिंह ठाकुर, अध्यक्ष पूर्व विधायक श्रीमति नेहा सिंह, संयोजक महेश रामानी, मीडिया प्रभारी एड.जकी अनवर खान, के अलावा कांग्रेस के अध्यक्ष यादोराव राहंगडाले, राकापा के ददुआ पटेल, सपा के जफर पटेल, जदयू के कलीम खान, राजद के एड.याहया आरिफ कुरैशी, भाकपा के हजारीलाल हेडाउ, बीएसपी के रामसिंह राय, आरपीआई के डॉ.राजकुमार बागरे, अजेय भारत पार्टी के अरूण सिंघानिया, शिवसेना के गोविंद बोरकर, नागरिक मोर्चा से नरेंद्र अग्रवाल, गोंगपा के मेहतराम बरकड़े के अलावा चेम्बर ऑफ कामर्स, इंटक, युवा संधि, उपभोक्ता कांग्रेस, बसंतोत्सव समिति, बैनगंगा साहित्य समिति, सिवनी केरल समाज और अंजनी किशोर व्यायाम शाला जैसी संस्थाओं को भी जोड़ा गया था।
(क्रमशः)

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