शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

ये रहे अर्चना चिटनिस के दो चेहरे


ये रहे अर्चना चिटनिस के दो चेहरे

पहले भारतीयता की वकालत फिर पश्चिमी सभ्यता का बखान

एसे कैसे लाएगी भाजपा रामराज्य

कैसे होंगे दीनदयाल उपाध्याय के सपने साकार

पुरूस्कार नहीं पा सके एमपी के शिक्षक और शाला!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनिस ने महज 24 घंटे में ही अपने दो चेहरे दिखाकर लोगों को हैरत में डाल दिया है। एक तरफ तो 19 अक्टूबर को वे शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में पश्चिम केंद्रित शिक्षा प्रणाली को कोसती नजर आईं वहीं दूसरी ओर 20 अक्टूबर को ही देश पर डेढ़ सदी से ज्यादा राज करने वाले ब्रिटेन के ब्रिटिश काउंसिल की मुख्य अतिथि की आसंदी से पश्चिमी सभ्यता का गुणगान करती रहीं। स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनिस द्वारा चौबीस घंटों के अंदर ही दिल्ली में दिए गए विरोधाभासी वक्तव्यों को लेकर तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गर्मा गया है। भाजपा के नेशनल हेडक्वार्टर में चल रही बयार के अनुसार इस तरह स्वदेशी की पोषक भाजपा द्वारा राम राज्य की स्थापना के साथ ही साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सपनों को आखिर कैसे साकार किया जा सकेगा?

मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग के दिल्ली स्थित सूचना केंद्र द्वारा 19 अक्टूबर को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि दिल्ली में आहूत शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में श्रीमति चिटनिस ने कहा कि 65 साल के बाद भी हम पश्चिम केन्द्रित शिक्षा प्रणाली को नहीं बदल पाये। पश्चिम केन्द्रित शिक्षा से न हम बच्चों का भविष्य संवार सकते और न ही देश का भला कर सकते हैं। भारतीय तरीके से शिक्षा के प्रति सोचना होगा तभी हम बच्चों का भविष्य संवार सकते हैं। श्रीमती चिटनिस ने श्री सिब्बल से प्रदेशों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए केन्द्रीय सहायता दिये जाने का भी आग्रह किया। इसी दौरान देशप्रेम दिखाते हुए श्रीमती अर्चना चिटनिस ने गांधी जी द्वारा आज से 102 साल पहले लिखी गयी हिन्द स्वराज पुस्तक की प्रति केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल को भेंट की। श्रीमती चिटनिस ने बताया कि अपने अधिकारियों के साथ उन्हांेंने इस पुस्तक का वाचन किया है।

सूचना केंद्र द्वारा 20 अक्टूबर को जारी खबर के अनुसार श्रीमती अर्चना चिटनिस द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए ब्रिटिश कांउसिल द्वारा स्कूलों और शिक्षकों को पुरस्कृत किया गया। विज्ञप्ति के अनुसार मध्यप्रदेश की शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में हमने भारत में बसुदैव कुटुम्ब की सोच और दर्शन को अपनाया है। हमने पूरे विश्व को ही एक परिवार माना है और भारत भी इसी सोच पर चल रहा है तथा बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाने की ओर अग्रसर है। श्रीमती चिटनिस ने आज यहां ब्रिटिश काउसिल स्कूल द्वारा आयोजित पुरस्कार समारोह 2011 में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते हुए कही।

विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि श्रीमती चिटनिस ने शिक्षा के क्षेत्र में ब्रिटिश काउसिल द्वारा गॉंवों से लेकर शहरों तक के विभिन्न स्कूलों को दिये गये योगदान की सराहना करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश और कई राज्य जैसे हरियाणा, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा, तमिलनाडु, केरल और विभिन्न शैक्षणिक संस्था जैसे केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, नगर पालिका विद्यालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ब्रिटिश कांउसिल को पूरा सहयोग दे रहे हैं। इन सबकी भागीदारी से जहां एक ओर शिक्षकों का व्यावसायिक विकास हो रहा है वहीं दूसरी तरफ छात्रों को भी इससे काफी फायदा हो रहा है। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि शिक्षा का विकास आदान-प्रदान के माध्यम से और बेहतर होगा। उन्होंने अपेक्षा की कि ब्रिटिश कांउसिल और भारत के बीच शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न विषयों के समय-समय पर आदान-प्रदान होना चहिए जिससे कि शिक्षा का स्तर और उसकी गुणवत्ता बेहतर हो सके। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश शिक्षा के लिए कटिबद्ध है और प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा बच्चों को शिक्षित करने के लिए विभिन्न योजनाएं चलायी जा रही हैं जिससे अधिक से अधिक बच्चे शिक्षित हो सकें।

श्रीमती चिटनिस ने कहा कि हमारे पॉंव भूतकाल में रहने चाहिए, हृदय वर्तमान में रहना चाहिए और निगाहें भविष्य की ओर। उन्होंने भारत के बारे में बताया कि देश में पारम्परिक और भारतीय ज्ञान का भण्डार है जिसके कि कृषि विकास, पर्यावरण और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है। उन्होंने आशा की कि ब्रिटिश कांउसिल भारत से हाथ से हाथ मिलाकर शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभायेगा।

श्रीमती चिटनिस ने विभिन्न वर्गाें में देशभर के स्कूलों और शिक्षकों को पुरस्कार प्रदान किये। यहां यह उल्लेखनीय होगा कि मुख्य अतिथि की आसंदी से पुरूस्कार बांट रहीं अर्चना चिटनिस को इस बात से जरा भी दुख नहीं हुआ कि इस तरह के कार्यक्रम में उनके द्वारा उनके ही सूबे यानी मध्य प्रदेश का एक भी स्कूल या शिक्षक पुरूस्कार नहीं ग्रहण कर सका।

1 टिप्पणी:

S.N SHUKLA ने कहा…

khare ji
अति सुन्दर , बधाई स्वीकारें.

कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.