शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

वोरा बुन रहे हैं मन से मुक्ति का तानाबाना


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 8

वोरा बुन रहे हैं मन से मुक्ति का तानाबाना

जार्ज के शक्तिमान होने से बदल गए हैं समीकरण

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक की अघोषित उपमा पा चुके प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की रूखसती की उल्टी गिनती लगभग आरंभ हो चुकी है। कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ में कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा एवं स्व.राजीव गांधी के विश्वस्त रहे सोनिया गांधी के सचिव विसेंट जार्ज की देखरेख में मनमोहन की मुक्ति का रोड़ मैप तैयार करवाया जा रहा है।

सोनिया के करीबी सूत्रों का दावा है कि वर्ष 2009 के बाद एक के बाद एक हुईं राजनैतिक भूलों का जब सोनिया गांधी और राहुल गांधी को एहसास करवाया गया तब जाकर सोनिया उस काकस से अपने आप को अलग करने का प्रयास कर सकीं जिसने उन्हें घेरकर अपनी मुगलई मचा रखी थी। इसके बाद से ही सोनिया ने अपने सचिव विसेन्ट जार्ज को भाव देना आरंभ कर दिया। जार्ज भी अपरान्ह दो बजे तक अपने घर पर ही जनता दरबार लगाकर लोगों मिलते हैं और सेकण्ड हॉफ में दस जनपथ जाकर सोनिया गांधी को वास्तविकताओं से रूबरू करवा रहे हैं।

जार्ज के अलावा सोनिया की किचिन कैबनेट में अब स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, रक्षा मंत्री ए.के.अंटोनी को भी खासा महत्व मिलना आरंभ हो गया है। दरअसल सोनिया गांधी को केंद्र सरकार से मिले एक विशेष कार्य अधिकारी ने जार्ज की एंट्री दस जनपथ में काफी हद तक प्रतिबंधित कर रखी थी। उनकी सेवा निवृति के उपरांत जार्ज फिर से ताकतवर होकर उभरे हैं।

उधर पर्दे के पीछे से सारी कठपुतलियों की डोर अपने हाथ रखने वाले कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा इतने लो प्रोफाईल में हैं कि किसी का ध्यान उनकी ओर नहीं जा रहा है। इस साल पंद्रह अगस्त पर कांग्रेस कार्यालय में झंडावंदन जब मोतीलाल वोरा द्वारा किया गया तो लोगों ने इसे महज इत्तेफाक ही माना। दरअसल यह वोरा के शांत और पर्दे के पीछे के चाणक्य होने का तोहफा था कि सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस के नेशनल हेडक्वार्टर में अध्यक्ष न रहते भी उन्होंने झंडा फहराया।

सूत्रों ने आगे कहा कि घपलों, घोटालों और भ्रष्टाचार से कांग्रेस की साख बुरी तरह से प्रभावित हुई है। मनमोहन की अर्थशास्त्री और उदारवादी छवि का कांग्रेस को लाभ होने के बजाए नुकसान ज्यादा उठाना पड़ रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व में लाख टके का सवाल यह उठ रहा है कि अब मनमोहन से मुक्ति किस तरह पाई जाए। इसके लिए मोतीलाल वोरा और विसेन्ट जार्ज द्वारा हर संभावनाओं पर सर जोड़कर हल निकालने का प्रयास किया जा रहा है।

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