सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

भाजपा नेतृत्व नहीं है आड़वाणी के साथ


उत्तराधिकारी हेतु रथ यात्रा . . . 8

भाजपा नेतृत्व नहीं है आड़वाणी के साथ

यात्री के हाथ अब तक कुछ नहीं लगा

अड़वाणी विरोधी हो रहे तेजी से सक्रिय

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। रथ यात्री एल.के.आड़वाणी अपने रथ में अकेले ही नजर आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने उनकी रथ यात्रा से किनारा ही कर रखा है। आला कमना का प्रापर मैसेज नहीं होने के कारण रथ यात्रा को सूबों के रिसपांस नहीं मिल पा रहा है। मीडिया में वांछित पब्लिसिटी नहीं मिलने से आड़वाणी बुरी तरह खफा और आहत हैं। इस बार आड़वाणी की रथयात्रा की सफलता में संदेह ही जताया जा रहा है। रथ यात्री (आड़वाणी) के साथ भाजपा नेता बेमन से ही चलते दिख रहे हैं।

रथ में सवार भाजपा नेताओं में दबी जुबान से चर्चा है कि जब आड़वाणी और उनकी पुत्री प्रतिभा को ही अभिवादन स्वीकार करना है तो भला बाकी नेता शोभा की सुपारी क्यों बनें? अब यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि राजग के पीएम इन वेटिंग से थककर अपने आप को अलग करने वाले लाल कृष्ण आड़वाणी अपनी पुत्री को राजनैतिक विरासत सौंपने उनकी ताजपोशी के पहले यह यात्रा कर रहे हैं।

भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी और संघ प्रमुख को भी आड़वाणी की यात्रा समझ में नहीं आ रही है। गड़करी ने रथ यात्रा के गुजरने वाले राज्यों में भी कोई खास संदेश नहीं भेजा है जिसके चलते राज्यों में भी रथ यात्रा फीकी ही दिख रही है। इसके साथ ही साथ मीडिया मैनेजमेंट इतना घटिया है कि आड़वाणी की रथ यात्रा को वांछित कव्हरेज भी नहीं मिल पा रहा है।

उधर संघ के आला नेताओं की राय भी गड़करी से कमोबेश मिलती जुलती ही है। दिल्ली में झंडेवालान स्थित केशव कुंज के सूत्रों का कहना है कि संघ मुख्यालय नागपुर का भी मानना है कि तिरासी बसंत देख चुके आड़वाणी को अब सक्रिय राजनीति तज देना चाहिए। आड़वाणी को चाहिए कि वे अब मार्गदर्शक की भूमिका में रहें न कि खुद सारथी बनें। इतने सालों के भाजपा को दिए योगदान के बदले भाजपा और संघ उनकी विरासत उनकी पुत्री को सौंपी जाए इसमें सहमत है किन्तु प्रतिभा के महिमा मण्डन के लिए देश व्यापी दौरा किसी के गले नहीं उतर रहा है।

(क्रमशः जारी)

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