गुरुवार, 3 नवंबर 2011

पीएम तो नहीं बन पाएंगे आड़वाणी, बिटिया की ताजपोशी ही अंतिम विकल्प

उत्तराधिकारी हेतु रथ यात्रा . . . 12 (समापन किस्त)

पीएम तो नहीं बन पाएंगे आड़वाणी, बिटिया की ताजपोशी ही अंतिम विकल्प

पच्यासी साल का पीएम होगा अस्वीकार्य

चुनाव बाद पांच साल में नब्बे को छू जाएंगे आड़वाणी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। अगले लोकसभा चुनाव वर्ष 2014 में निश्चित हैं, इस समय आड़वाणी की आयु पच्यासी साल की होगी। अगर वे प्रधानमंत्री बनते हैं तो अगले चुनावों तक वे नब्बे बरस के हो जाएंगे। इस ढलती उमर के व्यक्तित्व को बतौर प्रधानमंत्री स्वीकार करने में देश की एक तिहाई युवा तरूणाई अपने आप को असहज ही महसूस करेगी। इसके अलावा अटल सरकार में बतौर गृह मंत्री आड़वाणी के खाते में कोई खास उपलब्धि न होना भी सबसे बड़ी अड़चन के बतौर सामने आ रहा है। कंधार कांड, जिन्ना भक्ति जैसे मामले भी उनके खिलाफ माहौल बना रहे हैं।

हार्डकोर हिन्दुत्व का आलिंगन कर जिन्ना भक्ति के माध्यम से अपना दूसरा चेहरा दिखाकर आड़वाणी ने अपनी विश्वसनीयता को काफी कम किया है। जिन्ना को महिमा मण्डित करते हुए आड़वाणी ने संघ में भी अपनी पकड़ को ढीला कर दिया है। पार्टी में आपेक्षाकृत युवा नेताओं ने आड़वाणी को पार्श्व में ढकेलने के पुरजोर प्रयास किए हैं। उमा भारती प्रकरण भी आड़वाणी के लिए माईनस ही रहा। इतना ही नहीं उमा भारती की वापसी और फिर उनका निष्प्रभावी होना भी भाजपा में चर्चा का विषय ही बना हुआ है।

भाजपा और संघ में चल रही चर्चाओं के अनुसार आड़वाणी को अब स्टेट्समेन की भूमिका में आ जाना चाहिए। आला दर्जे के सूत्रों का कहना है कि संघ और भाजपा दोनों में ही आड़वाणी की सालों साल सेवा के सम्मान के बतौर उनकी पुत्री को उनकी राजनैतिक विरासत सौंपे जाने पर आपत्ति नहीं है। इसकी सैद्धांतिक सहमति दोनों ही के नेतृत्व ने दे दी है किन्तु प्रतिभा आड़वाणी को साथ लेकर देश भर में स्थापित करने की बात संघ और भाजपा नेतृत्व पचा नहीं पा रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं: