शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

सब कुछ अपने दामन में समेटे है महाकौशल

0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 6

सब कुछ अपने दामन में समेटे है महाकौशल

सरकारी कार्यालयों का है अंबार



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के हृदय प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर को अपने में समाहित करने वाले महाकौशल क्षेत्र में सब कुछ है। सरकारी कार्यालयों के मामले में यह पूरी तरह समृद्ध ही नजर आता है। मध्यप्रदेश का उच्च न्यायालय जबलपुर में ही है, तो रेल्वे का जोनल मुख्यालय भी यहीं है। प्रदेश का सबसे बड़ा बिजली घर भी अमरकंटक में है। छः दशकों पहले राजनैतिक बिसात की बलि चढ़े जबलपुर को सूबे की राजनैतिक राजधानी का गौरव के अधिकार को वापस दिलाने के लिए अब महाकौशल के नागरिकों के साथ ही उनके चुने गए प्रतिनिधियों को आगे आना होगा।

महाकौशल प्रांत अपने अंदर सब कुछ समाहित किए हुए है। देश के दो नेशनल पार्क कान्हा और पेंच इसी महाकौशल के आंचल का गौरव बढ़ाते हैं। भेडिया बालक मोगली के कारण भी महाकौशल की धरती आपने आप को देश विदेश में गोरवांन्वित ही अनुभव करती है। जबलपुर में रेल्वे जोन और उच्च न्यायालय होने के बाद भी यहां रेल और हवाई सुविधाओं का विकास करने वाले सांसदों ने अब तक एक भी राजधानी एक्सप्रेस की सौगात जबलपुर को नहीं दिला पाया जाना उनकी राजनैतिक सोच में कमी को रेखांकित करता है, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में बिलासपुर से नई दिल्ली तक राजधानी एक्सप्रेस का सफर छग निवासी बहुत ही गर्व के साथ किया करते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर होने के बाद भी बिलासपुर के लिए भारतीय रेल द्वारा प्रथक से राजधानी एक्सप्रेस चलाने के पीछे वहां उच्च न्यायालय होने का तर्क दिया गया था।

महाकौशल प्रांत में ही सिवनी में सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता का कार्यालय, जबलपुर में लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता का कार्यालय, डिफेंस का बहुत बड़ा बेस, व्हीकल फेक्ट्री, ऑर्डिनेंस फेक्ट्री, एशिया की सबसे बड़ी हेचरीज, कटनी मण्डला में चूने की खदानें, भेड़ाघाट का साफ्ट मारबल, मण्डला, डिंडोरी, बालाघाट, सिवनी और छिंदवाड़ा जिलों के जंगलों में प्रचुर मात्रा में वन्य संपदा, औषधीय पौधे न जाने क्या क्या मौजूद हैं। बालाघाट के बांस, सिवनी और बालाघाट का चावल, बालाघाट जिले के मलाजखण्ड और छिंदवाड़ा जिले के सौंसर में मेग्नीज की खानें, छिंदवाड़ा जिले के दुर्लभ्य पातालकोट में भारिया जनजाति, मण्डला और डिंडोरी में जनजातीय जीवन न जाने क्या क्या विशेषताएं अपने दामन में समेटे हुए है प्रस्तावित महाकौशल प्रांत।

इतना सब होने के बाद भी राजनैतिक इच्छाशक्ति का ही जबर्दस्त अभाव माना जाएगा कि अब तक महाकौशल प्रांत को बनवाने के लिए यहां के सांसद विधायक और प्रदेश तथा सूबाई मंत्रियों ने कोई प्रयास नहीं किए हैं। अगर महाकौशल को प्रथक प्रांत बना दिया जाता है तो निश्चित तौर पर इसकी राजधानी बनने का सौभाग्य जबलपुर को ही मिलेगा। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की स्थापना के वक्त जबलपुर से यह गौरव राजनैतिक इच्छा शक्ति के अभाव में छीन लिया गया था।

(क्रमशः जारी)

कोई टिप्पणी नहीं: