मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

नेताओं से परिपूर्ण है महाकौशल


0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 9

नेताओं से परिपूर्ण है महाकौशल

कद्दावर नेताओं की फौज भी नहीं बनवा पा रही महाकौशल प्रांत



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। आजादी के वक्त सेंट्रल प्रोवेन्सेस एण्ड बरार का हिस्सा रहा हो या आजादी के सालों बाद संयुक्त मध्य प्रदेश रहा हो अथवा छत्तीसगढ़ से टूटकर बचे मध्य प्रदेश का हिस्सा रहा हो सदा ही उपेक्षा का दंश झेला है महाकौशल प्रांत ने। इस प्रांत में शामिल जिलों की सरहदों के साथ केंद्र और राज्य सरकार ने हमेशा से ही उपेक्षात्मक रवैया अपनाया जाता रहा है।

इस प्रांत ने पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र जैसी राजनैतिक सूझबूझ वाली हस्ती को दिया जो प्रदेश के भाल पर महाकौशल का प्रतीक पुरूष साबित हुआ। महाकौशल ने प्रदेश को स्व.द्वारका प्रसाद मिश्र जैसा सबल, सुलझा और शक्तिशाली मुख्यमंत्री दिया। इसके अलावा केंद्र में गार्गीशंकर मिश्र जैसे कद्दावर मंत्री दिए, जिनकी कर्मभूमि छिंदवाड़ा और सिवनी रही। राजनैतिक तौर पर बलात ही हाशिए में ढकेल दी गई प्रदेश और देश की तेज तर्रार मंत्री सुश्री विमला वर्मा की कर्मभूमि सिवनी ही रही है। सुश्री वर्मा के बनाए लोगों ने ही उन्हें पार्श्व में ढकेला, वरना आज वे किसी प्रांत की महामहिम राज्यपाल या देश की महामहिम राष्ट्रपति बनने की काबिलियत रखती हैं।

केंद्रीय परिदृश्य में अगर देखा जाए तो कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय महासचिव और अनेक विभागों के मंत्री रहे कमल नाथ का केंद्रीय राजनीति में अपना अलग ही महत्व है। इसके अलावा प्रदेश में राजनैतिक धुरी बन चुके हरवंश सिंह ठाकुर की जन्म भूमि छिंदवाड़ा तो कर्मभूमि सिवनी है। वे आज मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष पद पर विराज मान हैं। हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल उर्मिला सिंह भी सिवनी जिले से ही हैं।

इसके अतिरिक्त दो दशकों तक स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष रहे रामेश्वर नीखरा, पूर्व मंत्री सत्येंद्र पाठक, दीपक सक्सेना, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष विश्वनाथ दुबे, प्रवक्ता कल्याणी पांडे, रेखा बिसेन, पुष्पा बिसेन, दयाल सिंह तुमराची और न जाने कितने जनसेवक हैं जो प्रदेश और केंद्रीय राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।

भाजपा भी महाकौशल प्रांत में जबर्दस्त तरीके से सक्षम ही प्रतीत होती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल वर्तमान में केंद्रीय राजनीति में सक्रिय हैं। वे भाजपा के असंगठित मोर्चे के अध्यक्ष हैं। फग्गन सिंह कुलस्ते भी केंद्रीय राजनीति में हैं और वे भी भाजपा के एक अनुसूचित जनजाति मोर्चे के नेशनल प्रेजीडेंट हैं।

मंत्रियों में गौरी शंकर बिसेन, अजय बिश्नोई, देवी सिंह सैयाम, नाना माहोड़े तो पूर्व मंत्रियों में डॉ.ढाल सिंह बिसेन, चौधरी चंद्रभान सिंह आदि का शुमार है। महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर भी दो बार विधायक रहे हैं। मध्य प्रदेश महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष श्रीमति नीता पटेरिया सिवनी से विधायक भी हैं।

प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष अनुसुईया उईके, विनोद गोटिया, राकेश सिंह और न जाने कितनी विभूतियां भाजपा की झोली में हैं। इतना ही नहीं एनडीए के सबसे ताकतवर स्तंभ शरद यादव की राजनीति भी महाकौशल की संभावित राजधानी जबलपुर से ही आरंभ हुई। आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि राजनैतिक रूप से इतना समृद्ध होने के बाद भी किसी जनसेवक ने अपनी इस धरा के विकास के मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रथक महाकौशल प्रांत की बात वजनदारी से क्यों नहीं रखी?

(क्रमशः जारी)

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