शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

सरकार से केवल वेतन लेने के लिए है सरकारी अमला!


सरकार से केवल वेतन लेने के लिए है सरकारी अमला!

भ्रष्टाचार का शिकार हो रहा है पेंच नेशनल पार्क



(शिवेश नामदेव)

सिवनी। पेंच नेशनल पार्क सिवनी जिले के विकास की फोरलेन सड़क के निर्माण में अनावश्यक बाधा तो पहुँचा ही रहा है साथ ही पार्क प्रशासन के घनघोर भ्रष्टाचार, शर्मनाक लापरवाही और बेलगाम अफसरशाही ने पार्क के वन्यप्राणियों के जीवन को भी खतरे में डाल दिया है। चार सौ से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारियों की फौज होने के बावजूद भी पार्क प्रशासन के संरक्षण में पार्क के अंदर वन्यप्राणियों का अवैध शिकार और कटाई धड़ल्ले से जारी है। पेंच पार्क के अंदर मछलियों के अवैध शिकार के समाचार के संबंध में जनमंच के सदस्य संजय तिवारी ने अपनी विज्ञप्ति के माध्यम से उक्त प्रतिक्रिया व्यक्त किया है।

संजय तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि 200 से ज्यादा सुरक्षा श्रमिक, 8 रेंजर, 12 डिप्टी रेंजर, 60 वनपाल, 3 सहायक वन संरक्षक, 2 आई.एफ.एस. स्तर के अधिकारी, मिलिट्री के सेवा निवृत्त जवान, एक कमान्डेंट को मिलाकर 400 से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी मिलकर 292 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैले पेंच नेशनल पार्क को महफूज नहीं रख पा रहे हैं। इसका सीधा मतलब है पार्क के प्रति एक वर्ग कि.मी. पर एक से ज्यादा वन कर्मचारी पार्क की सुरक्षा के लिये सरकारी खजाने से प्रतिमाह वेतन तो पा रहे है परंतु अपनी जिम्मेदारी को सही ढंग से नहीं निभा पा रहे हैं। गंभीर बात तो यह है कि सिवनी और छिंदवाड़ा जिले में फैले पेंच नेशनल पार्क की सुरक्षा के लिये 99 ईको विकास समिति और उनके सैंकड़ों सदस्य मौजूद हैं।

पेंच नेशनल पार्क के कुल 292 वर्ग कि.मी. का क्षेत्र जिसे कोर क्षेत्र भी कहते हैं, में 54 वर्ग कि.मी. क्षेत्र पेंच नदी पर बने तोतलाडोह बांध के डूब क्षेत्र में आता है जहां 24 घंटे मछलियों का अवैध रूप से शिकार होकर प्रतिदिन हजारों क्ंिवटल मछली नागपुर, सिवनी और अन्य जिलों में भेजी जा रही हैं। पेंच नेशनल पार्क प्रशासन के पास अवैध रूप से मछली पकड़ने वालों को धर दबोचने के लिये इंजिन, फाईबर और चप्पू वाली बोट है परंतु शायद ही ये बोट पानी में कभी तैर पाई होंगी। जबकि इंजिन वाली बोटों के लिये शासन से नियमित रूप से डीजल और पेट्रोल प्राप्त किया जाता है। बोटों के अलावा घने जंगलों में वन्यप्राणियों के शिकारियों को पकड़ने के लिये हाथियों की भी व्यवस्था है। परंतु पिछले पांच वर्षों में पार्क प्रशासन ने कितने शिकारियों को पकड़कर कार्यवाही किया है किसी को जानकारी नहीं है। वन अधिनियम 1972 के अनुसार आरक्षित वन क्षेत्रो के तालाब, नदियों और बांधों की मछलियां भी वन्यप्राणी हैं जिनका शिकार करना गैर जमानती अपराध है एवं 7 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों में मछलियों के अवैध शिकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट रूलिंग है।

अब जरा इस तथ्य पर गौर करिये। पेंच नेशनल पार्क प्रशासन के पास पार्क के मात्र 249 वर्ग कि.मी. की सुरक्षा और चौकसी के लिये छोटे-बड़े 22 से ज्यादा वाहन हैं। वहीं दूसरी ओर सिवनी मुख्य वन संरक्षक के अंतर्गत जांच वृन्द वन वृत्त (फ्लाईंग स्कॉट) के पास दो जिलों के सैंकड़ों वर्ग कि.मी. में फैले वनों की सुरक्षा, चौकसी और गश्ती के लिये मात्र एक वाहन है। अब यह समझना मुश्किल है कि दोनों में से कौन अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभा रहा है। पेंच नेशनल पार्क के सिवनी के हिस्से वाले तेलिया, कोहका, कोदाझिर, खामरीठ इत्यादि एवं छिंदवाड़ा के हिस्से वाले मरजादपुर, पुलपुल डोह, दूधगांव, गुमतरा, जमतरा, कडैया जैसे पार्क सीमा के अंदर बसे ग्रामों के ग्रामीणों को संयुक्त विकास प्रबंधन के अंतर्गत इको समिति बनाकर पार्क और वन्यप्राणियों की सुरक्षा के साथ जोड़ा गया है। पार्क के वनों पर इनकी निर्भरता कम से कम करने के लिये उक्त ग्रामों पर 14 करोड़ रूपये से भी ज्यादा खर्च किये जा चुके हैं परंतु नतीजा सिफर रहा। सूत्र बताते हैं कि वन्यप्राणियों और मछलियों के शिकारी उक्त गांवों के आस पास ठिकाना बनाये हुये हैं और मौका पाते ही पार्क के अंदर घुसकर बाघ जैसे दुर्लभ और शानदार वन्यप्राणी का शिकार कर लेते हैं।

पेंच पार्क के डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर के पास पार्क के अंदर बाघों या मछलियों के शिकार के मामले में एक ही रटा रटाया जवाब होता है कि अवैध शिकार पेंच नेशनल पार्क के महाराष्ट्र क्षेत्र में होता है जबकि सच्चाई यह है कि शिकारी पार्क के म.प्र. वाले हिस्से में अंदर तक घुसकर बाघ समेत कई दुर्लभ वन्यप्राणियों का शिकार कर रहे हैं। सवाल यह भी उठता है कि जब पेंच पार्क प्रशासन राष्ट्रीय पार्क के अंदर के बाघों को ही नहीं बचा पा रहा तो पेंच-कान्हा नेशनल पार्क के बीच कथित असुरक्षित, खतरनाक, नक्सल प्रभावित वन गलियारे में आवागमन करने वाले बाघों को कैसे बचा पायेगा। पेंच नेशनल पार्क के डूब क्षेत्र में मछलियों को पकड़ने के बहाने वन्यप्राणियों के शिकारी भी पार्क में प्रवेश कर रहे हैं। यह जानकारी पेंच पार्क के डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर दोनों को है यदि नहीं है तो उन्हें पुलपुलडोह वृत्त के कोरमट्टा रेस्ट हाऊस के पास बने वॉच टावर के ऊपर खड़े होकर देखना चाहिये, बांध के डूब क्षेत्र में उन्हें मछली पकड़ने वाली कम से कम सौ नाव दिखायी देंगी।

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