शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

वन एवं पर्यावरण मंत्री के दरबार में झाबुआ के खिलाफ गुहार!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 32

वन एवं पर्यावरण मंत्री के दरबार में झाबुआ के खिलाफ गुहार!

समाधान ऑन लाईन में होंगी झाबुआ पावर और पीसीबी की शिकायतें

सरकारी ईपोर्टल पर लगेगा शिकायतों का तांता



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश शासन के ईपोर्टल पर समाधान ऑन लाईन के तहत अब देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा छटवीं अनुसूची में अधिसूचित सिवनी जिले की आदिवासी तहसील घंसौर में डलने वाले 1260 मेगावाट (कागजों पर 1200 मेगावाट) के पावर प्लांट में 22 अगस्त 2009 और 22 नवंबर 2011 को प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा संपन्न कराई गई लोकसुनवाई में गफलतों की शिकायतें अब समाधान ऑन लाईन से होने का सिलसिला चल पड़ा है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री को भी इसकी शिकायतें भेजी गई हैं।



प्राप्त जानकारी के अनुसार सिवनी जिले के नागरिकों द्वारा अपने इंटरनेट फ्रेंडली होने का लाभ उठाकर मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा घंसौर के ग्राम बरेला में डलने वाले पावर प्लांट के प्रथम चरण की 22 अगस्त 2009 को संपन्न जनसुनवाई में हुई अनियमितताओं और 22 नवंबर 2011 को संपन्न जनसुनवाई की सूचना एमपीपीसीबी की वेब साईट पर न डाले जाने की शिकायत करने का मन बना लिया है। अनेक नागरिकों ने इस आशय की लिखित शिकायत मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सहित केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन को प्रेषित की है।

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन के करीबी सूत्रों का कहना है कि चंद शिकायतें तो इस प्रकार की प्राप्त हुईं हैं जिसमें मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की मिलीभगत से मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड को लाभ पहुंचाने की बात कही गई है। इन दिनों चूंकि जयंती नटराजन कुछ अधिक व्यस्त हैं इसलिए उनके संज्ञान में यह बात नहीं लाई जा सकी है किन्तु जल्द ही इस बारे में वन मंत्री के संज्ञान में यह बात लाई जाएगी।

उधर कांग्र्रेस के नेशलन हेडक्वार्टर में जब इस बारे में चर्चा चली तो वरिष्ठ कांग्रेसियों ने इस बात पर आश्चर्य ही व्यक्त किया कि कांग्रेस के हाथ मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ इतना बढ़िया मामला मिला है, फिर भी कांग्रेस खामोश कैसे बैठी है? निश्चित तौर पर इस मामले में सख्त रवैया अपनाकर शिवराज सरकार को घेरा जा सकता है। यह मुद्दा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के हवाले कर इस मामले को उठाकर शिवराज सरकार के खिलाफ जनमत भी तैयार किया जा सकता है कि शिवराज सरकार किसानों की नहीं पूंजीपतियों के इशारों पर चलने वाली सरकार है

(क्रमशः जारी)

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