शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

नरसिंहराव को रह रह कर याद कर रहे हैं मनमोहन


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 54

नरसिंहराव को रह रह कर याद कर रहे हैं मनमोहन

मदाम गिने चुने चाटुकारों के बीच हैं कैद



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मनमोहन सिंह के खिलाफ तलवार पजाने वालों से आजिज आकर देश के प्रमुख पंत प्रधान डॉ.मनमोहन सिंह अब रह रह कर पूर्व प्रधानमंत्री स्व.नरसिंहराव के कार्यकाल को याद करते नजर आ रहे हैं। सुधारवादी कार्यों में राव ने मनमोहन का मन से साथ दिया था। नरसिंहराव के कार्यकाल में मनमोहन सिंह के उदारवादी कार्यों का ही असर है कि आज देश की अर्थव्यवस्था फल फूल रही है।

इस तरह की बातें अब मनमोहन जुंडाली द्वारा तेजी से सियासी गलियारों में फैलाई जा रही हैं। मंत्रीमण्डल, सरकार, और कांग्रेस में प्रधानमंत्री के कट्टर समर्थक एफडीआई मुद्दे को टालने के लिए नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) की वर्तमान पीढ़ी सोनिया और राहुल सहित एफडीआई विरोधी लाबी को आड़े हाथों लिए हुए हैं। मनमोहन समर्थकों ने अब सोनिया और राहुल पर परोक्ष हमले तेज कर दिए हैं।

पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि अब तो मनमोहन समर्थक यहां तक कहने लगे हैं कि सोनिया गांधी का अब कांग्रेस पर वश ही नहीं रह गया है। बीमार हो चुकी सोनिया गांधी अब अपने गिने चुने चाटुकार समर्थकों की बैसाखी पर ही चल रही हैं। ये चाटुकार अपना हित साधने के चक्कर में सोनिया और राहुल को भरमाने से नहीं चूक रहे हैं। सोनिया और राहुल के सलाहकार ही हैं जो कांग्रेस के इन दोनों सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्रों को गुमराह कर रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी को घेरने वाले चाटुकार इन दोनों को ही न तो ठीक से काम करने दे रहे हैं और न ही इन दोनों को स्वतंत्र तौर पर कोई फैसला ही लेने दे रहे हैं। यही कारण है कि मदाम अपने हिसाब से काम नहीं कर पा रही हैं। अब तक के सबसे खराब दौर में पहुंच चुकी देश की अर्थव्यवस्था की न तो सोनिया को ही समझ है और न ही राहुल को। इन दोनों के दबाव में अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और आर्थिक मामलों के जानकार पलनिअप्पम चिदम्बरम भी कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं।

(क्रमशः जारी)

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