गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

पांच सालों से नहीं हुई विजलेंस मनीटरिंग कमेटी की बैठक


लूट मची है मनरेगा के कामों में . . . 3

पांच सालों से नहीं हुई विजलेंस मनीटरिंग कमेटी की बैठक

जिलाधिकारी हैं बैठक न हो पाने के दोषी


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की राज्य एवं जिला स्तर पर बनी मानिटरिंग कमेटी की सक्रिय बैठक नहीं होने के कारण देश में मनरेगा के प्रदर्शन पर सीधा असर पड़ रहा है। केंद्र सरकार भी अपने स्तर पर यह महसूस कर रही है कि विजलेंस मानीटरिंग कमेटी की नियमित बैठकें न हो पाने से मनरेगा में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। मंत्रालय मनरेागा में भ्रष्टाचार के लिए जिला कलेक्टर्स को ही जवाबदेह मान रहा है।

सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के मुताबिक ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मनरेगा के साथ ही इसकी कार्यों की निगरानी के लिए बनाई गई विजलेंस मानीटरिंग कमेटी की बैठकें अगर जिला कलेक्टर्स द्वारा नियमित तौर पर बुलाई जातीं तो मनरेगा के कार्याे का निरीक्षण सही तरीके से किया जा सकता था। इसके साथ ही साथ मनरेगा में जमीनी स्तर पर सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं से भी सरकार रूबरू हो पाती।

विडम्बना ही कही जाएगी कि इस तरह की बैठकें बुलाने की जहमत न तो ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ही उठाई गई और न ही विजलेंस कमेटी की बैठकें बुलाने के लिए प्राधिकृत जिलाधिकारियों ने ही इस ओर कोई ध्यान दिया। कुछ दिनों पूर्व ग्रामीण विकास मंत्रालय ने तय किया था कि मनरेगा के खराब प्रदर्शन वाले जिलों में जिम्मेदार जिलाधिकारियों को इसके लिए दंडित किया जाए। मंत्रालयीन सूत्रों का दावा है कि पिछले पांच सालों में मनरेगा की विजलेंस कमेटी की बैठकें देश के अधिकांश जिलों में हुई ही नहीं हैं, जिसका प्रतिकूल प्रभाव केंद्र सरकार की इस महात्वाकांक्षी योजना पर पड़ रहा है।

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