शनिवार, 10 दिसंबर 2011

गंदा पानी पीने मजबूर सिवनी वासी


गंदा पानी पीने मजबूर सिवनी वासी

सात किलोमीटर दूर है फिल्टर प्लांट



(शिवेश नामदेव)

सिवनी। जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर श्रीवनी फिल्टर प्लांट से आने वाले दूषित पानी को पीकर सिवनी के नागरिक बुरी तरह बीमार पड़ रहे हैं। संजय सरोवर परियोजना के तहत बनाए गए एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के भीमगढ़ बांध से आने वाला पानी श्रीवनी में साफ किया जाता है फिर पाईप के द्वारा सिवनी की पानी की टंकियों में पहुंचाया जाता है। मार्ग जगह जगह बने चेंबर्स में ग्रामीणों द्वारा पाईप लाईन फोड दिए जाने से यह पानी पूरी तरह प्रदूषित हो जाता है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इन चेंबर्स में ग्रामीणों, राहगीरों, वाहन चालकों द्वारा लघु दीर्घ शंका समाधान, कपड़ों की धुलाई, स्नान ध्यान आदि किया जाता है। इन चेंबर्स में ग्रामीणों द्वारा पाईप फोड़ दिए जाने से पानी का प्रेशर भी काफी कम हो जाता है। साथ ही साथ पानी को श्रीवनी में फिल्टर किए जाने का ओचित्य ही समाप्त हो जाता है। गौरतबल है कि कांग्रेस के शासनकाल में जब तत्कालीन पालक मंत्री गनपत सिंह उईके को श्रीवनी प्लांट का निरीक्षण के लिए ले जाया गया था तो पेशे से शिक्षक श्री उईके ने आश्चर्य व्यक्त किया था कि इतनी दूर तक फिल्टर किया हुआ पानी साफ कैसे पहुंच पाएगा?

सिवनी में पानी के प्रदाय हेतु पुरानी व्यवस्था के तौर पर लखनवाड़ा में बैन गंगा नदी पर स्टाप डेम बनाया गया था जो तोड़ दिया गया है। इसके अलावा शहर के उत्तर में स्थित बबरिया तालाब भी महज एक वार्ड को ही पानी उपलब्ध करा रहा है। मांग की जा रही थी कि भीमगढ़ से पानी लाकर बबरिया में डाला जाए और बबरिया में ही जल शोधन संयंत्र लगवाकर यहां से शहर को पानी प्रदाय करवाया जाए।

शहर में लोगों के नलों से गंदा और बदबूदार पानी उगला जा रहा है और संबंधित विभाग मौन साधे हुए हैं। न तो नगर पालिका प्रशासन और न ही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को इससे कुछ लेना देना है। संपन्न लोग तो मंहगे फिल्टर आदि लगाकर अपना स्वास्थ्य बचा ले रहे हैं पर गरीब गुरबे तो यही पानी पीकर स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने पर मजबूर हैं।

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