गुरुवार, 5 जनवरी 2012

लोकपाल बन सकता है मनमोहन की बिदाई का कारण


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 67

लोकपाल बन सकता है मनमोहन की बिदाई का कारण

टीम अण्णा का पुनर्गठन हो गया है जरूरी



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। समाजसेवी अण्णा हजारे द्वारा उठाए गए लोकपाल के मुद्दे पर समूचा देश सालों बाद एकजुट नजर आया। लगने लगा था मानो अब बस क्रांति आने ही वाली है। टीम अण्णा के कुछ सदस्यों की गलत चालों के कारण अण्णा का आंदोलन और उनकी छवि प्रभावित हो रही है, वरना लोकपाल अकेला एसा मामला है जो वजीरे आजम मनमोहन सिंह की बिदाई का प्रमुख कारक बन सकता है।
समूचा देश केंद्र और राज्य सरकारों के हाकिमों के भ्रष्ट रवैए, घपले, घोटाले, अनाचार आदि से त्रस्त नजर आ रहा है। एसी पस्थिति में नेतृत्व के अभाव का फायदा उठाकर देश के ही लुटेरे अपने ही साथियों को तबियत से लूट रहे हैं। इस माहौल में जब लोगों को अण्णा हजारे जैसा बिना किसी स्वार्थ बिना किसी राजनैतिक लाभ के लिए लड़ने वाला बुजुर्ग किन्तु अनुभवी नेता मिला तो सबने अण्णा को एक ही सुर से कहा -‘‘अण्णा, वी मस्ट सेल्यूट यू।‘‘
गौरतलब है कि इससे पहले भ्रष्टाचार और काले धन के मुद्दे पर इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने भी अनशन आरंभ किया। सरकार के प्रबंधकों को बाबा रामदेव के मन में हिलोरे मार रही राजनैतिक आकांक्षाओं का पता था इसलिए बाबा रामदेव को पार्श्व में ढकेलने में कांग्रेस के रणनीतिकारों को नौ दिन भी नहीं लगे।
वहीं दूसरी ओर अण्णा हजारे का चूंकि राजनैतिक लेना देना नहीं था अतः अण्णा को साईज में लाने में पूरे नौ महीने लग गए। लोकपाल के मुद्दे पर कांग्रेस और सरकार बुरी तरह घबराई हुई थी। टीम अण्णा की कोर कमेटी के कुछ सदस्यों पर निशाना साधा गया और बार बार उन्हें इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से लोगों को दिखाया गया। एक सर्वेक्षण के मुताबिक अब टीम अण्णा के उन चेहरों से जो बार बार सामने आ रहे हैं जनता आजिज आ चुकी है। यही कांग्रेस और सरकार की जीत है।
कांग्रेस के अंदरखाने में अण्णा का मुंबई आंदोलन असफल होने पर खुशियां मनाई जा रही है। प्रधानमंत्री बेहद खुश बताए जा रहे हैं। पीएमओ के सूत्रों की मानें तो अण्णा के मुंबई आंदोलन को असफल करने और फिर बीमारी के कारण अण्णा के घर बैठ जाने से टीम अण्णा का बैकफुट में आना प्रधानमंत्री के बचाव के लिए काफी मुफीद ही साबित हो रहा है।
वहीं, अब समाजसेवी अन्ना हजारे ने आगामी पांच राज्यों के चुनाव में प्रचार नहीं करने का एलान किया है। टीम अन्ना की अहम सदस्य किरन बेदी ने पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। कांग्रेस के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है क्योंकि टीम अन्ना के निशाने पर कांग्रेस ही थी. हालांकि जानकारों ने इसे टीम अन्ना के लिए भी राहत की खबर बताया है। जानकारों का कहना है कि मुंबई में आंदोलन के दौरान जिस तरह कम भीड़ जुटी, उससे चुनाव प्रचार में टीम अन्ना को जनता के समर्थन के लिए जूझना पड़ता। इस कदम से टीम अन्ना राहत महसूस करेगी।
किरन बेदी ने कहा, कि अन्ना की तंदुरुस्ती देश के लिए बहुत जरूरी है। अन्ना बीमार हैं और उनको टोटल केयर की जरूरत है। डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने के लिए कहा है, इसलिए वह आने वाले चुनावों में प्रचार करने नहीं जाएंगे। बेदी ने बताया कि शनिवार को कोर कमिटी की बैठक होगी जिसमें आगे की रणनीति पर फैसला किया जाएगा।

(क्रमशः जारी)

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