गुरुवार, 5 जनवरी 2012

कार्यकारी अवस्था में किया ही नहीं गया वृक्षा रोपण!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 45

कार्यकारी अवस्था में किया ही नहीं गया वृक्षा रोपण!

कैसे रोकेगा जेपीएल अब प्रदूषण को?

प्रदूषण नियंत्रण मण्डल का मौन संदिग्ध



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूचि में शामिल देश के हृदय प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर में लगने वाले मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के कोल आधारित पावर प्लांट के संयंत्र प्रबंधन द्वारा कार्यकारी अवस्था में अब तक वृक्षा रोपण का काम न किया जाकर भी पर्यावरण बचाने का अद्भुत और अकल्पनीय, हास्यास्पद दावा किया जा रहा है। वृक्षा रोपण न किए जाने पर भी जिला प्रशासन सहित मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा कोई कदम न उठाया जाना अनेक संदेहों को जन्म दे रहा है।
देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर जिनका राजनैतिक क्षेत्र में भी इकबाल बुलंद है, के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा दो चरणों में लगाए जा रहे कोल आधारित पावर प्लांट के पहले चरण में संयंत्र प्रबंधन द्वारा जमा कराए गए कार्यकारी सारांश में साफ तौर पर उल्लेखित किया गया था कि संयंत्र में कोयला ज्वलित बायलर वायु प्रदूषण का मुख्य कारक होगा।
इसके दूसरे चरण के लिए सरकार को संयंत्र प्रबंधन द्वारा भेजे गए कार्यकारी सारांश में कहा गया है कि निर्माण चरण के दौरान क्षेत्र में मुख्य प्रदूषक डस्ट अर्थात धूल मिट्टी ही होगी। संयंत्र प्रबंधन का दावा है कि परियोजना स्थल पर निर्माण प्रक्रिया एवं वाहनों की आवाजाही के कारण यह स्थिति निर्मित होगी। निर्माण चरण के दौरान उत्पादन प्रक्रिया द्वारा व्यर्थ जल को एसटीपी उपचारित करके वृक्षारोपण के लिए उपयोग किया जाएगा।
संयंत्र के सूत्रों का कहना है कि संयंत्र के निर्माण का काम दिसंबर 2009 से आरंभ हो चुका है। दो साल बीतने के बाद भी संयंत्र प्रबंधन द्वारा अब तक कोई वृक्षारोपण नहीं किया गया है। गौरतलब है कि 22 नवंबर 2011 को संयंत्र स्थल के करीब गोरखपुर में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा आहूत लोकसुनवाई में मण्डल और जिला प्रशासन के जिम्मेदार आला अफसरान की उपस्थिति में संयंत्र के महाप्रबंधक श्री मिश्रा ने इस बात को स्वीकार किया था कि संयंत्र प्रबंधन द्वारा 22 नवंबर 2011 तक कोई वृक्षारोपण नहीं किया गया है।
यक्ष प्रश्न यह उठता है कि जब संयंत्र प्रबंधन द्वारा निर्माण स्थल के इर्दगिर्द वृक्षारोपण किया ही नहीं है तो देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर जिनका राजनैतिक क्षेत्र में भी इकबाल बुलंद है, के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा दो चरणों में लगाए जा रहे कोल आधारित पावर प्लांट का प्रबंधन आखिर पर्यावरण के प्रदूषण को नियंत्रित करने का दावा किस आधार पर कर रहा है।
यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

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