मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

सोनिया की मुखालफत कर रहे थे हरीश खरे


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 80

सोनिया की मुखालफत कर रहे थे हरीश खरे

आईबी ने पकड़ी थी आपत्तिजनक मेल



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। मीडिया के मसले में प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के आंख नाक कान समझे जाने वाले हरीश खरे को अंततः दूध में से मख्खी की तरह निकालकर बाहर कर दिया गया। सियासी गलियारों में इस बात की पतासाजी जारी है कि आखिर क्या वजह थी कि मनमोहन सिंह ने अपने विश्वस्त हरीश खरे के साथ इतनी बेरूखी अख्तियार की? हिन्दी और भाषाई पत्रकारों और समाचार पत्रों की उपेक्षा का कारण इसमें प्रमुखता से सामने आया था किन्तु यह तो महज एक निमित्त था, दरअसल, कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी की नजरें हरीश खरे के लिए तिरछी हो गईं थीं, जो उनकी बिदाई का कारण बनीं।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के अति विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि 10, जनपथ बनाम 7, रेसकोर्स (प्रधानमंत्री आवास) में हरीश खरे एक इंस्टूमेंट के मानिंद काम कर रहे थे, जिसकी जानकारी सोनिया गांधी को दी गई। इसके बाद ही प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार हरीश खरे को बाहर का रास्ता दिखाने का ताना बाना बुना गया।
सूत्रों ने बताया कि मूलतः अंग्रेजी भाषा के प्रेमी हरीश खरे के कुछ आपत्तिजनक ईमेल इंटेलीजेंस ब्यूरो ने पकड़े थे। सूत्रों ने आगे कहा कि इन ईमेल की भाषा, विचार, भावार्थ, भाव भंगिमाएं, निहितार्थ कुछ इस तरह के थे जो सीधे सीधे 10, जनपथ के खिलाफ थे। इन ईमेल को जब सोनिया गांधी के संज्ञान में लाया गया तब सोनिया गांधी को मशविरा दिया गया कि प्रधानमंत्री बनाम कांग्रेस अध्यक्ष के अघोषित शीत युद्ध को हवा देने का काम कोई ओर नहीं हरीश खरे ही कर रहे हैं।
सूत्रों ने साफ तौर पर कहा कि डॉ.मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाईजर हरीश खरे ने उक्त ईमेल उस वक्त भेजी थी जब मीडिया में प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह और कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के बीच अनबन की खबरें मीडिया की सुर्खियां बन रहीं थीं। वज़ीरे आज़म डॉ.सिंह के मीडिया सलाहकार हरीश खरे ने उक्त ईमेल आंग्ल भाष के सोनिया विरोधी वरिष्ठ पत्रकारों और संपादकों को भेजी थी। इसके बाद ही सोनिया की भवें तनीं और हरीश खरे को निकालने के अलावा प्रधानमंत्री के पास कोई और मार्ग नहीं बचा।

(क्रमशः जारी)

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