सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

गैर राजनैतिक होने का खामियाजा भुगतेंगे मनमोहन


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 91

गैर राजनैतिक होने का खामियाजा भुगतेंगे मनमोहन

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। भारत गणराज्य में संभवतः मनमोहन सिंह पहले एसे वज़ीरे आज़म हैं जो गैर राजनैतिक हैं। यही कारण है कि उनके इर्द गिर्द भीड़ भाड़ नहीं हुआ करती है। चापलूस, चाटूकार भी मनमोहन के आसपास नहीं फटक पाते हैं। राजनैतिक लोग भी प्रधानमंत्री के पास जाकर चर्चाओं में बोरियत ही महसूस करते हैं। गैर राजनैतिक होने के बाद भी देश पर आठ साल तक उन्होंने कैसे राज कर लिया इस बारे में लोग शोध ही कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री आवास के सूत्रों का कहना है कि मनमोहन सिंह खालिस गैर राजनैतिक व्यक्तित्व के धनी हैं। अगर कोई उनके पास जाकर किसी भी विषय पर राजनैतिक दृष्टिकोण से बात करता है तो प्रधानमंत्री बस चुपचाप खामोशी के साथ हल्की मुस्कुराहट भर देते हैं। कुछ देर में चर्चा करने वाला शांत हो जाता है। लोगों को आज भी प्रधानमंत्री के विचार ही नहीं पता है। लोगों को मनमोहन सिंह की रीति नीति के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि देश के सबसे ताकतवर पद पर आसीन डॉ.मनमोहन सिंह के पास कोई फैसला लेने का अधिकार ही नहीं है। वे हर मामले में कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) पर ही आश्रित हैं। माना जा रहा है कि गैर राजनैतिक होने का खामियाजा मनमोहन सिंह को अपनी कुर्सी से उतरकर ही चुकाना होगा।
सूत्रों ने बताया कि जब मनमोहन सिंह की पुत्री ने मनमोहन सिंह को टीवी पर चल रहे एक चुटकला सुनाया। जिसमें कहा गया है कि मनमोहन सिंह से किसी ने पूछा कि दो और दो कितने होते हैं। जिसके जवाब में मनमोहन सिंह ने कहा कि वैसे तो दो और दो चार होते हैं पर अगर सोनिया जी से एक बार पूछ लेते तो बेहतर होता। यह सुनते ही मनमोहन सिंह ठहाके मारकर हंसने लगे। सूत्रों ने कहा कि यद्यपि उनके ठहाके से पीएमओ गूंज उठा पर उनके चेहरे पर उपेक्षा का दर्द अलग दिख रहा था।

(क्रमशः जारी)

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