सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

हिमाच्छादित गांवों की भाजपा सरकार ने सुध लेना तक छोडा


हिमाच्छादित गांवों की भाजपा सरकार ने सुध लेना तक छोडा

(चन्द्रछशेखर जोशी)

देहरादून (साई)। उत्तराखण्ड  विधानसभा चुनावों  के दौरान मनमोहक नारों से लुभाने के बाद हिमाच्छादित गांवों को भाजपा सरकार ने सुध लेना तक छोड दिया है। जिससे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है।
उत्तरकाशी के यमुनोत्री, गंगोत्री तथा टौंस हरकीदून घाटी के ऊंचाई वाले क्षेत्र में कर्फ्यू जैसी स्थिति पैदा हो गई है। बर्फबारी होने के कारण रास्ते बंद हो गए हैं। कड़ाके की ठंड और बर्फबारी वाले क्षेत्रों में रास्ते बंद होने से हनुमानचट्टी, चानकीचट्टी, ओसला, पंवाणी, फतेहपर्वत तथा उपला टकनौर क्षेत्र के गांवों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बर्फबारी और बर्फीले तूफान से मोरी, भटवाड़ी, डंडालगांव, राड़ी, जानकीचट्टी, सांकरी और हर्षिल क्षेत्र में तथा यमुनोत्री राजमार्ग पर डंडालगांव से राड़ी टॉप व सयानाचट्टी से आगे तथा हरकीदून घाटी में सांकरी से ऊपर के गांवों में भारी बर्फबारी शुरू होने से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। ऊंचाई वाले हिस्सों में यातायात ठप हो गया है। लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
जनता पूछ रही है कि कौन है जरूरी, विज्ञापनों पर भरोसा करते हुए हमने मतदान कर दिया अब आप भी हमारे लिए क्घ्या है जरूरी, समझ पर हम पर तरस खाओ, आवश्घ्यक सुविधा उपलब्घ्ध कराओ, उत्तरकाशी के ऊंचाई वाले क्षेत्रों के हिमाच्छादित गांवों में कैद लोगों की समस्याएं बढ़ गयी हैं।  यहां सड़क, पेयजल, विद्युत और संचार जैसी ढांचागत सुविधाओं के अभाव से क्षेत्र वीरान पड़े हुए हैं। फरवरी बीतने को है, लेकिन जिले के आठ हजार फिट से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अब भी दो से छह फीट तक बर्फ जमा है।
वहीं दूसरी ओर जिले के डोडीताल, दयारा, हर्षिल, गंगोत्री, गोमुख, तपोवन, केदारताल, कुश कल्याण, जौराई, यमुनोत्री, सांकरी, हरकीदून और केदारकांठा आदि तमाम पर्यटक स्थल और ट्रैक बर्फ से लकदक हैं। बर्फबारी के बाद खुशगवार हुए मौसम में इन पर्यटक स्थलों का नैसर्गिक सौंदर्य देखते ही बनता है। समान भौगोलिक परिस्थितियों वाले जम्मू कश्मीर और हिमाचल में हिमाच्छादित पर्यटक स्थलों का लुत्फ लेने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां पर्यटकों का टोटा है ऐसा नहीं कि पर्यटक यहां आना नहीं चाहते, बल्कि ढांचागत सुविधाओं के अभाव तथा ट्रैकिंग की अनुमति न मिलने से फिलहाल साहसिक पर्यटन पर ब्रेक लगे हुए हैं। ऐसे में यहां पर्यटन का अपेक्षित विकास न होने से इस पर टिकी आजीविका वाले लोग मायूस हैं। 
वहीं बारिश और बर्फबारी के बाद जिले में फिर से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बर्फबारी और घाटी वाले क्षेत्रों में बारिश से जहां कई रास्ते बंद हो गए हैं, वहीं जिले के ऊंचाई वाले गांवों का देश दुनिया से संपर्क कट गया है। हरकीदून और टौंस घाटी में सांकरी ताल्लुका तथा फतेह पर्वत क्षेत्र में बर्फबारी से फिर कई सड़कों पर यातायात ठप हो गया है।
गंगोत्री राजमार्ग का आबादी से जुड़ा 32 किमी हिस्सा बर्फ से पटने से उपला टकनौर के सीमावर्ती क्षेत्र के गांव एक बार फिर बर्फबारी में कैद होकर अलग-थलग पड़ गए हैं। यमुनोत्री, टौस और हरकीदून घाटी में बर्फबारी से क्षेत्र की मुश्घ्किलें बढ गयी है। गंगोत्री राजमार्ग पर गंगनानी से धराली आबादी क्षेत्र तक कई किमी हिस्सा बर्फ से ढक गया है।

कोई टिप्पणी नहीं: