सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

नेता ने कहा नेता चोर, जनता ने कहा वन्स मोर


नेता ने कहा नेता चोर, जनता ने कहा वन्स मोर

(संजय तिवारी)

उत्तर प्रदेश में महाचुनाव के छठे चरण के लिए चुनाव प्रचार चरम पर पहुंचा या चरमराकर गिर गया कहना मुश्किल है लेकिन चुनाव आयोग की नियमावली के तहत आज शाम समाप्त जरूर हो गया. अंधाधुंध सभाओं और हडहड़ाते हेलिकॉप्टरों का शोर थम गया. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 13 जिलों की 68 सीटों के लिए मंगलवार को मतदान होगा. प्रचार और मतदान के बीच चुनाव आयोग एक दिन का अंतराल क्यों देता है यह तो नहीं पता लेकिन यह एक दिन हर उम्मीदवार के लिए उन तैयारियों को अंजाम देने के लिए किया जाता है जो आमतौर पर स्वस्थ चुनाव प्रणाली में निषिद्ध कार्य समझा जाता है.
अगले पूरे दिन राजनीतिक दल और उनके उम्मीदवार इसी निषिद्ध कार्य को संपन्न करेंगे और उसके बाद आखिरी चरण के लिए बची खुची सीटों पर प्रचार के लिए कूच कर जाएंगे. उत्तर प्रदेश के इस छठे चरण सपा, बसपा, कांग्रेस और भाजपा के अलावा एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी भी है इंडियन नेशनल लोकदल. बुढ़ाने के बाद भी छोटे चौधरी बड़े नहीं हुए हैं इसलिए पल पल में दल बदलने की उनकी पुरानी रवायत कायम है. इस दफा वे कांग्रेस के साथ मिलकर मैदान में उतरे हैं और जाटों के पहरुआ बनकर प्रचार कर रहे हैं.
मायावती और मुलायम के लिए भी यह इलाका महत्वपूर्ण है. मायावती का मायका गौतमबुद्ध नगर इसी इलाके में है तो मौलाना मुलायम की अलीगढ़ में स्वीकार्यता का औपचारिक परीक्षण भी इसी दौर में हो जाएगा. देवबंद से लेकर अलीगढ़ तक मौलाना मुलायम की स्वीकार्यता का ही सवाल था कि नेता जी आगरा से लेकर अलीगढ़ तक दौड़ लगाते रहे और खुद को छोड़कर बाकियों को चोर ठहराते रहे. मायावती मायके में आईं तो उन्होंने भी यही किया. बसपा को छोड़कर बाकी सभी दल या तो चौर और भ्रष्टाचारी हैं या फिर सांप्रदायिकता फैलाते हैं.
कांग्रेस के आलाकमान की आलाकमान सोनिया गांधी मयपुत्र राहुल गांधी के साथ हरवाहों चरवाहों के बीच जाने से खुद को रोक नहीं पाई और कांग्रेस को छोड़कर बाकी दलों को चोर ठहराती रहीं. मीडिया के जरिए शायद उन्होंने जान लिया था कि काले धन की जो बहस चल रही है उसमें उनका भी नाम घसीटा जाता है इसलिए कालेधन पर बहस शुरू करनेवाले राजनीतिक प्राणी आडवाणी को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें काले धन की इतनी ही चिन्ता है तो अपने शासनकाल में उन्होंने काला धन वापस लाने की पहल क्यों नहीं की. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भी वे साहरनपुर में जनता को बताने से बाज नहीं आई कि तीनों दलों (सपा, बसपा और भाजपा) ने आपको लूटा है इसलिए आप उनको वोट न करें. भैया राहुल तो चार कदम आगे जाकर चौंका देते हैं. चुनाव प्रचार में धूल फांककर काले पड़ चुके गोरे राहुल की नजर में माया मुलायम दोनों लुटेरे हैं सिर्फ अजीत सिंह सबसे ईमानदार नेता और लोकदल सबसे सही दल है.
भारतीय जनता पार्टी ने तो मानों कसम खा ली है कि कुछ भी हो जाए वह अच्छा परिणाम लाकर रहेगी. छठे चरण के लिए थोक में नेताओं ने चुनाव प्रचार किया जिसमें नितिन गडकरी से लेकर नकवी तक शामिल हैं. पार्टी के हर छोटे बड़े नेता को गाजियाबाद में स्थापित किये गये अस्थाई मुख्यालय से जोड़ दिया गया है और सारे हवाई साधनों और हवाई नेताओं को कहा गया कि जहां मौका मिल जाए कूदकर सभा कर आयें. भाजपा वाले एक सुर में नहीं बोल रहे हैं. सपा और बसपा को केन्द्र की राजनीति से कुछ लेना देना नहीं है इसलिए उनके लिए सुभीता है कि वे प्रदेश को ही प्लेग्राउण्ड बनाकर खेल रहे हैं लेकिन भाजपा को सेन्टर की पॉलिटिक्स भी हैंडल करनी है इसलिए कहीं माया निशाने पर हैं तो कहीं कांग्रेस और सोनिया गांधी.
अगर पहले चरण से छठे चरण तक के चुनाव प्रचार का याद करें तो पायेंगे कि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान हर नेता दूसरे नेता को चोर ठहरा रहा है. उत्तर प्रदेश बदहाल है इसे तो सभी मान रहे हैं लेकिन मायावती इसके लिए कांग्रेस के 22 साल पहले के शासन को जिम्मेदार बता रहीं हैं तो कांग्रेस को सारा कोढ़ पिछले पांच साल में पैदा हुआ नजर आ रहा है. भाजपा और सपा को तो दोनों ही दल भ्रष्ट नजर आ रहे हैं क्योंकि ये दोनों दल न इधर न उधर, कहीं भी सत्ता में नहीं हैं.
तो फिर जनता किसकी सुन रही है? यह जानने के लिए हम 6 मार्च का इंतजार करेंगे लेकिन मौका मुआइना यह है कि जनता जमकर तमाशा देख रही है. प्रदेश के चुनावी दंगल में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में हैलिकॉप्टर उतारे गये हैं जो पहले कभी नहीं उतारे गये थे. हर नेता हवा से हरहराता हुआ जमीन पर आता है और जमीन चूमकर फिर हवा हो जाता है. जनता उन आते जाते नेताओं को बड़े चाव से देख रही है और उनके हैलिकॉप्टरों की उड़ती धूल के आंख में पड़ने से पहले ही अपनी आंख बंद कर लेती है. हैलिकॉप्टर के हवा में गायब हो जाने के बाद आंख खोलती है और बड़े चाव से बोल पड़ती है- वन्स मोर।

(लेखक विस्फोट डॉट काम के संपादक हैं)

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